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प्रवासी मजदूरों के साथ लौटे 60 हजार बच्चों का छूटा स्कूल, अभियान चलाकर होगें शिक्षित

locationभोपालPublished: Jul 10, 2020 05:42:44 pm

Submitted by:

Hitendra Sharma

बच्चों को स्कूलों लाने के लिए सरकार चलेयेगी अभियान

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भोपाल। प्रवासी मजदूरों के साथ लौटे करीब 60 हजार बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए ड्राइव चलाया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने सौ फीसदी बच्चों को प्रवेश और किताबें उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

मप्र सेतु पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों के जरिए ५ से 14 वर्ष के बच्चों के आंकड़े निकाले हैं। इसमें प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश देने योग्य ३१ हजार और माध्यमिक कक्षाओं में प्रवेश देने योग्य साढ़े 25 हजार बच्चे हैं। इन बच्चों की जानकारी पाठ्य पुस्तक निगम को भी दी गई है, जिससे किताबों के 60 हजार अतिरिक्त सेट संकुल पहुंचा सके।

उज्जैन में सबसे ज्यादा
आदिम जाति कल्याण विभाग ने आदिवासी बहुल जिलों के बच्चों को प्रवेश देने के साथ ही छात्रावास की व्यवस्था करने के लिए कहा है। सबसे कम 2637 बच्चे उज्जैन संभाग में है। सबसे ज्यादा 14 हजार बच्चे सागर संभाग में है। ग्वालियर में 11 हजार तथा इंदौर में साढ़े 8 हजार बच्चे प्रवासी मजदूरों के साथ लौटे हैं। खंडवा में साढ़े 6 हजार, रीवा में 6 हजार, जबलपुर में 4800 और भोपाल संभाग में 3800 बच्चे हैं।

दरअसल बाहरी राज्यों से मध्यप्रदेश में वापस लौटे साढे ग्यारह लाख से ज्यादा मेनपॉवर के बच्चे अब सरकार के सामने बडी चुनौती है। अभी तक इन मजदूरों को काम देने को लेकर सरकार मनरेगा के अलावा दूसरे विकल्पों पर विचार नहीं कर पाई है, लेकिन यदि इस मेनपॉवर को मध्यप्रदेश सरकार रोक लेती है तो यह प्रदेश के विकास में बडी भूमिका अदा कर सकते हैं।

दरअसल, कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के कारण पिछले महीने से दूसरे राज्यों से मध्यप्रदेश के प्रवासी मजदूरों के लौटे है। अभी तक पहले दौर में करीब 11.78 लाख मजदूर मध्यप्रदेश में आ चुके हैं। अब इतनी बडी संख्या में लौटे मजदूर मध्यप्रदेश के लिए बडी चुनौती है।

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