भोपाल

विधानसभा का सत्र आज से, बदला-बदला होगा सदन नजारा

– कमलनाथ सीट नंबर एक पर, शिवराज के लिए फिलहाल विपक्ष की पहली कुर्सी- विपक्ष में शुरू से ही तीखे तेवर अख्तियार करेगी भाजपा

भोपालJan 07, 2019 / 11:50 am

दीपेश अवस्थी

mp vidhansabha

भोपाल। 15 साल बाद सोमवार को मध्यप्रदेश विधानसभा के सदन का नजारा पूरी तरह से बदला हुआ नजर आएगा। अब तक विपक्ष में बैठने वाली कांग्रेस, अध्यक्ष की आसंदी के दाहिनी ओर यानी सत्ता की कुर्सियों पर नजर आएगी तो भाजपा के विधायक सामने प्रतिपक्ष की सीटों पर काबिज नजर आएंगे। पंद्रहवीं विधानसभा की शुरूआत के लिए विधानसभा भवन को सजाया-संवारा गया है। सदन के नेता के रूप में लगातार 13 वर्षों तक पहली कुर्सी पर बैठने वाले शिवराज सिंह चौहान अब विपक्ष में नजर आएंगे, वर्तमान व्यवस्था में उन्हें विपक्ष की पहली सीट दी गई है लेकिन नेता प्रतिपक्ष के चयन के बाद उन्हें दूसरे नंबर की सीट मिलेगी।
उधर सदन के नेता के रूप में पहली सीट पर मुख्यमंत्री कमलनाथ होंगे। उनके पास मंत्री गोविंद सिंह, आरिफ अकील, सज्जनसिंह वर्मा बैठेंगे। जीतू पटवारी, मुख्यमंत्री के ठीक पीछे की सीट पर नजर आएंगे। पिछली विधानसभा में इस सीट पर नरोत्तम मिश्रा बैठते थे। चौदहवीं विधानसभा में स्पीकर रहे डॉ. सीतासरन शर्मा विपक्ष में सीट क्रमांक 159 पर बैठे नजर आएंगे। यह विपक्ष की अग्रिम पंक्ति की सीट होगी। मध्यप्रदेश के संसदीय इतिहास पहली बार यह स्थिति होगी जब पक्ष-विपक्ष में बहुत कम सदस्यों का अंतर होगा। विपक्ष भरा-पूरा होने से बहस की संभावना बहुत ज्यादा रहेगी तो वहीं सरकार भी कभी भी मतदान में अप्रिय स्थिति से बचने के लिए अपने विधायकों को सदन में उपस्थित रहने के लिए पांबद कर चुकी है।
 

पक्ष विपक्ष में इन पर होगा फ्लोर मैनेजमेंट का जिम्मा –
सत्ता के पक्ष के अहम चेहरे –

कमलनाथ – सदन में पहली बार नजर आएंगे। ९ बार के सांसद और केन्द्रीय मंत्री भी रहे हैं। अब सदन के नेता के रूप में मौजूद होंगे। चाणक्य राजनीतिक होने के साथ सभी के साथ लेकर चलने की कला में महारत है। यहां इनका कौशल नजर आएगा।
डॉ. गोविंद सिंह – संसदीय कार्यमंत्री हैं। सातवीं बार के विधायक होने के कारण गहन संसदीय अनुभव भी है। संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते यह जिम्मेदारी भी है कि सदन की कार्यवाही सुचारू से चलती रहे। विपक्ष में रहने के दौरान सरकार को कई बार एेसा घेरा की जबाव देना मुश्किल हुआ।
केपी सिंह – कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हैं। छठवीं बार विधायक बने। संसदीय नियमों के बेहतर जानकार हैं। अपनी बात दमदारी से रखने के साथ विरोधी को करारा जबाव भी देते हैं। इसलिए इन्हें सदन में अग्रिम पंक्ति में स्थान दिया गया है।
सज्जन सिंह वर्मा – पांचवी बार के विधायक हैं, लोकसभा सदस्य भी रहे हैं। राज्य सरकार में मंत्री हैं। अपनी बात प्रभावी तरीके से रखने और विरोधी को उसी की शैली में जबाव देने की कला अच्छे से आती है। विरोधी पक्ष की रणनीति को समझने और ध्वस्त करने की शैली भी अच्छे से आती है। यहां भी ये सक्रिय रहेंगे।
बाला बच्चन – विपक्ष में रहने के दौरान उप नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे। सरकार को घेरने में आक्रामक तेवर अपनाते रहे हैं। अब सरकार में मंत्री हैं, इसलिए फ्लोर मैंनेजमेंट में भी सक्रिय भूमिका होगी। पांचवी बार के विधायक होने के कारण संसदीय अनुभव भी बेहतर है।
ब्रजेन्द्र सिंह राठौर – शालीनता से बात रखते हैं, लेकिन रणनीति में माहिर हैं। पांचवी बार के विधायक होने के साथ ही इनका संसदीय अनुभव भी बेहतर है। नियम प्रक्रिया के तहत यदि विपक्षी दल ने सरकार को घेरने का प्रयास किया तो नियम प्रक्रिया का जबाव नियमों के तहत ही देंगे।
विपक्ष के अहम चेहरे-

शिवराज सिंह चौहान- शिवराज नेता प्रतिपक्ष नहीं रहेंगे, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से विपक्ष में इनकी भूमिका अहम रहेगी। शिवराज पहले कह चुके हैं कि सरकार के सार्थक कामों में वे सहयोग करेंगे, लेकिन जरा भी गड़बड़ हुई तो वे तत्काल सवाल उठाएंगे। शिवराज की भाषण शैली में तथ्यों के साथ धाराप्रवाहता होने के कारण उनपर सभी की नजर बनी रहेगी।
नरोत्तम मिश्रा- पिछली विधानसभा में संसदीय कार्यमंत्री के नाते फ्लोर मैनेजमेंट का जिम्मा नरोत्तम मिश्रा पर था। मिश्रा मैनेजमेंट और तोडफ़ोड़ में माहिर माने जाते हैं। कई बार ये भाजपा सरकार के संकट मोचक भी साबित हुए। इस बार इनके नेता प्रतिपक्ष बनने की संभावना है। सदन में अपने तीखे हमलों से कांग्रेस सरकार को घेरने में मुख्य भूमिका निभांएगे।
गोपाल भार्गव- भार्गव सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं। वे आठवीं बार के विधायक हैं। भार्गव ने विपक्षी विधायक के रूप में भी सफल कार्यकाल पूरे किए हैं। वे दिग्विजय सरकार में विपक्ष के सक्रिय विधायक थे। इस बार भार्गव अपने अनुभव से सरकार पर निशाना साधेंगे।
भूपेंद्र सिंह – शिवराज सरकार में गृह एवं परिवहन मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह विपक्ष के तेजतर्राट विधायकों में से एक रहेंगे। विपक्ष के सरकार पर होने वाले हमलों में इनकी भूमिका अहम रहेगी।

गौरीशंकर बिसेन- शिवराज सरकार में कृषि मंत्री रहे गौरीशंकर बिसेन अभी से कांग्रेस सरकार के कर्ज माफी के वादे की हवा निकालने की तैयारी में है। वे कृषि और सहकारिता पर सरकार को घेरेंगे। बिसेन आक्रामक शैली के विधायक माने जाते हैं।
यशोधरा राजे सिंधिया- शिवराज सरकार की फायरब्रांड नेत्री यशोधरा अब महिला विधायक के रूप में विपक्ष में सक्रिय नजर आएंगी।
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