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भोपाल

गरीबों को मुफ्त शिक्षा की कीमत बढ़ाएगी जेब का बोझ

नए फीस नियंत्रण कानून में प्रावधान , आरटीई के खर्च को फीस वृद्धि के आधार में शामिल किया।

भोपालDec 07, 2017 / 11:20 am

जीतेन्द्र चौरसिया

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right to education

भोपाल। प्रदेश के निजी स्कूल फीस बढ़ाने के लिए गरीबों को आरटीई के तहत दी जाने वाली मुफ्त शिक्षा को भी आधार बना सकेंगे। केंद्र सरकार से पहले ही स्कूलों को इसके लिए प्रतिपूर्ति राशि मिलती है। अब नए कानून में मुफ्त शिक्षा को आधार बनाकर भी अभिभावकों की जेब पर बोझ बढ़ाया जा सकेगा। इससे निजी स्कूलों को दोहरा फायदा होगा विधानसभा में मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस व संबंधित विषय विनियमन विधेयक २०१७ में पारित किया गया है।
इसमें प्रावधान किया है कि फीस वृद्धि के समय राज्य व जिला स्तरीय कमेटी जिन घटकों पर विचार करेगी, उसमें मुफ्त शिक्षा का खर्च शामिल हैा। यह खर्च शिक्षा के अधिकार के तहत २५ फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने से स्कूलों पर आता है। अभी सरकार इस खर्च के बदले एक निश्चित फार्मूले पर स्कूलों को सर्वशिक्षा अभियान के बजट से प्रतिपूर्ति करती है। निजी स्कूल इस प्रतिपूर्ति को हर बार कम बताते रहे हैं। अब नए प्रावधान से यह हो सकेगा कि निजी स्कूल फीस वृद्धि के प्रस्ताव में इस खर्च का हवाला देंगे।
अब ये होगा-

नए प्रावधान से दिक्कत ये कि स्कूल यदि प्रतिपूर्ति का उल्लेख नहीं करते हैं, तो पूरा खर्च फीस वृद्धि का आधार बन जाएगा। एेसे में स्कूल दोनों जगह से इसकी प्रतिपूर्ति करा सकते हैं। वही यदि प्रतिपूर्ति का उल्लेख करके उसे कम बताते हैं तो भी यह खर्च फीस वृद्धि का आधार बन जाएगा। दोनों सूरत में गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा का खर्च दूसरे बच्चों के अभिभावकों की जेब पर फीस वृद्धि के रूप में आएगा।
प्री-स्कूलिंग भी शामिल-
बड़ा कदम ये कि सरकार ने प्री-स्कूलिंग को भी फीस नियंत्रण कानून में शामिल किया है। प्री-स्कूलिंग यानी प्री-नर्सरी, नर्सरी, केजी-१ और केजी-२ कक्षाओं की मान्यता अभी तक कोई नियम नहीं है। प्री-स्कूलिंग पर सरकार बीते तीन सालों में ३५०० करोड़ रुपए बांट चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे गलत ठहरा दिया। केंद्र ने इस राशि को देने से भी इंकार कर दिया, क्योंकि शिक्षा के अधिकार में केवल पहली से आठवीं तक की व्यवस्था है। इस कारण सरकार ने अब प्री-स्कूलिंग को इस दायरे में लाकर उसकी प्रतिपूर्ति को वैध ठहराने का रास्ता भी खोला है।
फीस वृद्धि के आधार ये तय किए

भूमि, भवन व अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर की कीमत, छात्र संख्या, अध्ययन संकाय, अधोसंरचना व अन्य सुविधा पर खर्च, प्रशासन-रखरखाव, केंद्र की नीति के तहत कमजोर वर्ग को मुफ्त शिक्षा, अध्यापन-अध्ययन कराने वाले कर्मचारी, निजी स्कूल विकास की धारा-५ की उपधारा-२ के तहत खर्च, शैक्षणिक कर्मचारी का वेतन, छात्र-शिक्षक अनुपात, सरकार की सहायता भूमि व अनुदान व अन्य घटक।
एक्सपर्ट व्यू :

आरटीई के तहत मुफ्त शिक्षा के लिए केंद्र व राज्य सरकार प्रतिपूर्ति करते हैं। अब नए कानून में इसे शामिल करने से बड़े स्कूल इस प्रतिपूर्ति को कम बताकर फीस वृद्धि का अतिरिक्त फायदा उठा सकते हैं। जिला स्तरीय कमेटियों पर बड़े स्कूल प्रभाव डालकर फीस बढ़वा सकते हैं।
– डॉ. रणधीर वर्मा, शिक्षाविद्

फीस वृद्धि के कानून में आरटीई के प्रवेश को इसलिए शामिल किया गया है कि उसका पूरा हिसाब सामने आ सके। सरकारी मदद व खर्च को फीस वृद्धि के समय देखेंगे।
दीपक जोशी, राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा, मप

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