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पत्रिका ने पड़ताल में पाया कि मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पताल की भयावह स्थिति सामने आई। हकीकत यह है कि मध्य प्रदेश में जरूरत से आधे डॉक्टर भी नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी ज्यादा खराब है। आधे से ज्यादा पीएचसी और सीएचसी बिना डॉक्टरों के चल रहे हैं। पैरामेडिकल स्टाफ की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। ऐसे में इस योजना को लागू करने से पहले डॉक्टरों और स्वास्थ्य अमले की भर्ती जरूरी है।
इस साल रिटायर हो जाएंगे 174 डॉक्टर
इस साल मध्य प्रदेश में 174 डॉक्टर रिटायर हो जाएंगे। राजधानी की बात करें तो जेपी अस्पताल से आठ विशेषज्ञों समेत भोपाल के करीब 22 डॉक्टर रिटायर हो रहे हैं।
900 विशेषज्ञ डॉक्टरों के भरोसे पूरा मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में विशेषज्ञों के 3278 पदों में से अभी 1029 कार्यरत हैं। इस साल रिटायर होने वाले 174 डॉक्टरों में करीब 100 विशेषज्ञ हैं। इस तरह 900 विशेषज्ञ ही बचेंगे।
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मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर
पदनाम – पद – पदस्थ
विशेषज्ञ – 3278 – 1029
ऑफि.सर्स – 4895 – 3218
दंत चिकित्सक – 162 – 119
नहीं भर पाते पद
वर्ष 2010 में मेडिकल ऑफिसर्स के 1090 पदों के विरुद्ध 570 डॉक्टर ही मिले थे। 200 डॉक्टरों ने पीजी या मनचाही पोस्टिंग नहीं मिलने पर नौकरी छोड़ दी। 2013 में 1416 पदों पर भर्ती में 865 डॉक्टर मिले, लेकिन 400 ने ज्वाइन नहीं किया या छोड़ दी। 2015 में 1271 पदों में 874 डॉक्टर मिले। 218 डॉक्टरों ने ज्वाइन नहीं किया। 2015 में 1871 पदों के लिए भर्ती शुरू हुई थी। मार्च 2017 में रिजल्ट जारी किए गए। 800 डॉक्टर मिल पाए हैं।