स्वमा ही पानी की उपलब्धता से लेकर उसको लोगों तक पहुंचाने का काम करेगा। राइट टू वाटर से जुड़े तमाम वित्तीय अधिकार भी इसी संस्था के पास होंगे। स्वमा के चेयरमैन मुख्यमंत्री और वाइस चेयरमैन मुख्य सचिव होंगे। इसके अलावा मंत्री, प्रमुख सचिवों समेत प्रोफेसर और जल विशेषज्ञ शामिल होंगे।
स्वमा में खासतौर पर जनता का प्रधिनिधित्व करने वाले लोग भी रहेंगे। नए कानून में इनके अधिकार और दायित्व दोनों परिभाषित कर दिए गए हंैं। जल्द ही ये प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा। सरकार इस महीने जल संसद बुलाने की तैयारी कर रही है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया जाएगा।
जल संसद की तैयारी
भोपाल में इसी महीने में जल संसद का आयोजन हो सकता है। इसमें सरकारी संस्थाओं के अलावा भाजपा के सांसदों और विधायकों को भी बुलाया जाएगा। प्रदेश के बाद केंद्र सरकार ने भी लोगों को 55 लीटर पानी मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जलशक्ति मंत्रालय भी बनाया गया है। प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री पानी के अधिकार से जुड़ी जल संसद में शामिल हो सकते हंै।
ऐसा होगा स्वमा
: अध्यक्ष – मुख्यमंत्री
: उपाध्यक्ष – मुख्य सचिव
: सदस्य – पीएचई मंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, नगरीय प्रशासन मंत्री, कृषि मंत्री और मुख्यमंत्री का नामांकित मंत्री। प्रमुख सचिव पीएचई, प्रमुख सचिव कृषि, प्रमुख सचिव जलसंसाधन, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन, प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास, प्रमुख सचिव वन।
वीसी, जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि, जबलपुर, जीव विज्ञान, भू विज्ञान और इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के तीन प्रोफेसर। जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले तीन विशेषज्ञ। साथ ही अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला वर्ग से वे सदस्य जिनको सरकार नामांकित करेगी।
स्वमा के कार्य और अधिकार
स्वमा इस कानून के तहत आने वाली सभी संस्थाओं को सुझाव और कार्य में मदद करेगा। इसके पार कानूनी और वित्तीय अधिकार होंगे। वह सेस और सरचार्ज वसूल सकेगा। एक्ट के अंदर तय किए गए जुर्माने को वसूल करेगा, सरकार से मिलने वाला अनुदान पर स्वमा का हक होगा।
स्वमा जल संरक्षण के लिए 50% सीएसआर फंड, 70% मनरेगा का गैरनियोजित फंड खर्च करेगा। स्वमा 31 अक्टूबर तक अपना बजट बनाकर सरकार को देगा। इसके कामों में जल संरक्षण की योजना, इसका क्रिन्यावयन, भूमिगत जल को नोटीफाई कर संरक्षित क्षेत्र घोषित करना और इसका प्रबंधन, लोगों को जागरूक करने के लिए नीति बनाना और उसे गांव तक प्रसारित करना, हर व्यक्ति तक निश्चित मात्रा में पानी पहुंचाने की योजना, व्यवस्था और निगरानी करना शामिल है।
हम इस कानून को महज कागजी नहीं बनाना चाहते। इसमें आम आदमी की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, ताकि लोगों को हम उनकी जरूरत का पानी मुहैया करा सकें।
– सुखदेव पांसे, मंत्री, पीएचई