मिसरोद से कोलार की ओर व यहां से नीलबड़ के बीच निर्माण एजेंसी को वनक्षेत्र को बचाते हुए रिंग रोड का काम पूरा करना होगा। यहां वनभूमि है, इसके लिए अनुमतियों की भी लंबी प्रक्रिया है। संभवत: इसी वजह से रिंग रोड अधूरी ही है, हालांकि इसका अधूरापन बड़ी आबादी के लिए परेशानी बना हुआ है। नीलबड़ के बाद सड़क बनाने में दिक्कत नहीं होगी। यहां इसके लिए काम किया जा सकता है।
कोलार रोड से ट्रैफिक का दबाव कम हो जाएगा। इसके बाद नीलबड़ रातीबड़ ओर बैरागढ़ की ओर आवाजाही करने वाले सीधे रिंग रोड से होकर गुजर जाएंगे। अभी भदभदा से नीलबड़ और आगे तक रोड बनाई जा रही है। हालांकि ये शहर के अंदर की रोड है, ऐसे में नीलबड़ व रातीबड़ के बीच ये रिंग रोड निकल सकती है। रोजाना करीब 30 हजार लोगों को लाभ हो सकता है।
शहर के अंदर क्षेत्रों को जोडऩे जरूर मिली रिंग रोड बनाई जा रह है। अभी पीडब्ल्यूडी कोलार से शाहपुरा, बावडिय़ाकलां, होशंगाबाद रोड, कटारा हिल्स तक रोड बना रहा है। इसे मिनी रिंग रोड कहा जा रहा है। ये आगे भेल क्षेत्र जाकर मिलेगी। फिलहाल कोलार से आम्र विहार होते हुए कलियासोत डैम फिर नीलबड़ व रातीबड़ को जोडऩे वाली रिंग रोड का निर्माण काम चल रहा है। राजधानी परियोजना प्रशासन इस सड़क का निर्माण करा रहा है।
अब्दुल मजीद, अध्यक्ष स्ट्रक्चरल इंजीनियर एसोसिएशन
नीरज मंडलोई, पीएस पीडब्ल्यूडी