भारत टॉकीज चौराहे से बोगदा पुल के बीच बरखेड़ी रेलवे फाटक पिछले चार साल से बंद पड़ा है। रेलवे की तीसरी लाइन के विस्तार के चलते यह रास्ता बंद किया गया था। ऐशबाग सहित कई कॉलोनियां यहां पर हैं। जिनकी आबादी करीब दो लाख है।
हर रोज करीब 20 हजार लोग इस फाटक का इस्तेमाल करते थे। ये लोग अब अंडर ब्रिज और संकरी गलियों से होकर जा रहे हैं। वहीं चार पहिया वाहनों की आवाजाही बड़ी समस्या बन गई है। सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूली बच्चों को हो रही है।
उन्हें लेने-छोडऩे जाने वाली 100 स्कूल वैन और 50 स्कूली बसों को रोजाना फाटक पर खड़े होना पड़ रहा है। बच्चे पैदल पटरी पार कर गाडिय़ों में सवार हो रहे हैं।
अंदरूनी सडक़ों पर ट्रैफिक का दबाव
ब रखेड़ी से बाग उमराव दूल्हा, बाग फरहत अफजा, चाणक्यपुरी, महामाई का बाग, नवीन नगर, सोनिया गांधी कॉलोनी, ऐशबाग, अफकार कॉलोनी के अलावा अस्सी फीट और रेलवे स्टेशन को जोडऩे वाली संकरी सडक़ों पर यातायात का दबाव ज्यादा है। चार पहिया वाहन चालकों को मेन रोड पर पहुंचने के लिए चार किमी दूर घूमकर जाना पड़ रहा है। फाटक खुला होने से ये दूरी एक किमी से भी कम होती है।
क्यों होती है मुश्किल
ऐशबाग की दो दर्जन से ज्यादा कॉलोनियों के लिए यही एक रास्ता था। फाटक बंद होने के बाद लोगों को काफी परेशानी हुई। इसे फिर से खोलने की मांग को लेकर कई धरने और प्रदर्शन भी किए गए। इसके लिए संघर्ष मोर्चा भी बनाया गया था। लेकिन किसी की सुनवाई नहीं हो रही है।