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पांच लाख रुपए की एक सडक़ की आड़ में बनी 30 लाख रुपए खर्च की तीन फाइलें

locationभोपालPublished: Feb 28, 2019 02:04:19 am

Submitted by:

Bharat pandey

निगम में सडक़ निर्माण घोटाला: महापौर ने निगमायुक्त को फाइलें सौंपकर दिए जांच के निर्देश

Road construction scam

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भोपाल। नगर निगम में सडक़ निर्माण में भ्रष्टाचार से जुड़ा नया मामला सामने आया है। उत्तर विधानसभा क्षेत्र के तहक वार्ड 10 में भगत सिंह पार्क से प्रभु नगर तक 5 लाख रुपए की सडक़ बनाने की आड़ में इंजीनियरों ने फर्जी नाम से बनी एक फर्म को फायदा पहुंचाने तीन फाइलें तैयार करा लीं। तीन अलग-अलग प्रस्तावों में आंशिक फेरबदल कर तकासी और अग्रवाल नाम की फर्जी फर्मों को 30 लाख रुपए से ज्यादा की राशि जारी करने की तैयारी कर ली थी।

बुधवार को श्यामला हिल्स गेस्ट हाउस पर आयोजित एमआईसी बैठक में भाजपा पार्षद महेश मकवाना ने फर्जी प्रस्ताव और फाइल सहित सभी दस्तावेज कमिश्नर बी विजय दत्ता की मौजूदगी में महापौर आलोक शर्मा को सौंपे हैं। महापौर ने मामले में नगर निगम इंजीनियर केसी पाठक पर स्थानीय विधायक के इशारे पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया है। कमिश्नर को दस्तावेज सौंपकर सख्त कार्रवाई के निर्देश देते हुए महापौर ने कहा कि इस घोटाले की जांच की मांग लोकायुक्त से भी की जाएगी। इधर मामले में विधायक एवं मंत्री आरिफ अकील से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने मुद्दा सुनने के बाद कहा मैं अभी इस मामले में कुछ नहीं कहना चाहता।

ये है पूरा मामला
भाजपा पार्षद महेश मकवाना ने वार्ड नंबर 10 में भगत सिंह पार्क से प्रभु नगर तक सडक़ बनाने का प्रस्ताव भाजपा शासनकाल में दिया था। उस वक्त प्रस्ताव पर 5 लाख 66 हजार 408 रुपए का फंड जारी किया गया था। टेंडर जारी हो गए थे लेकिन कभी काम ही शुरू नहीं हुआ था।


कांग्रेस शासन आने के बाद इसी सडक़ का प्रस्ताव नए सिरे से बनाया गया। इस बार प्रस्ताव 4 लाख 17 हजार 856 रुपए की फाइल टेंडर नंबर 17609 के जरिए आगे बढ़ाई गई। फाइल पर टेंडर खुलने की तारीख 2 मार्च 2019 लिखी गई लेकिन बजट और प्रशासकीय स्वीकृति के बगैर ही मौके पर सडक़ निर्माण कर दिया गया।


इसी सडक़ के लिए दूसरी बार टेकरीवाला शेड से प्रभु नगर तक सडक़ निर्माण के नाम से फाइल बनी। टेंडर नंबर 458382 पर 6 फरवरी को ओपन प्रोसेस हुआ। काम तकासी फर्म को 4 लाख 78 हजार 841 में दे दिया गया। इस प्रस्ताव पर भी बजट मंजूरी और प्रशासकीय स्वीकृति नहीं ली गई।


तीसरा प्रस्ताव भी बनाया गया और इस बार टेकरीवाला से शासकीय माध्यमिक शाला तक सडक़ बनाने का जिक्र किया गया। इस बार भी बगैर प्रशासकीय मंजूरी और और बजट मंजूरी के सर्वाधिक 20 लाख 53 हजार 350 रुपए का टेंडर जारी कर दिया गया। अग्रवाल फर्म को भुगतान करने की तैयारी हो रही थी।

जांच के निर्देश दिए हैं
एक ही सडक़ के नाम पर तीन प्रस्ताव बनाकर फर्जी फर्मों को 30 लाख रुपए बांटने का भ्रष्टाचार एमआईसी मेंबर ने पकड़ा है। मामले में निगमायुक्त को फाइलें सौंपकर जांच के निर्देश दिए हैं। लोकायुक्त को भी सबूत सौंपकर अफसर और स्थानीय विधायक की मिलीभगत की जांच की मांग करेंगे।
आलोक शर्मा, महापौर

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