उपचुनाव के दौरान अस्पतालों की हालत ठीक कराने और डॉक्टरों की पदस्थापना के वादे किए थे। इस पर कोई पहल नहीं की तो अनूपपुर जिले के दौरे में लोगों ने वाहन को रोककर विरोध जताया और लौटने के लिए मजबूर कर दिया। ऐसा ही केंद्रीय जेल की घोषणा का भी हुआ। सांसद बनने के बाद जेल भ्रमण के दौरान सांसद निधि से सिलाई मशीनें देने और डे्रस बनाने के कारखाने के लिए मदद की घोषणा की थी। दो साल बाद भी जेल में यह कारखाना नहीं लगा। रोजगार के वादों पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं।
संसद में नहीं मुखर हुई आवाज
लोगों में इस बात की भी नाराजगी है कि टे्रन, कोयला खदानों में रोजगार जैसे केंद्र के मुद्दों पर भी ज्ञान आवाज नहीं उठा पाए। चार्टर्ड एकाउंटेंट सुशील सिंघल कहते हैं सांसद ने जनता से दूरियां बना रखी हैं। ऐसा ही यहां के मुद्दों को लेकर भी है। अगर वे आवाज उठाते तो शहडोल को मुंबई और नागपुर के लिए टे्रन सुविधा मिल जाती। कोयला खदानों स्थानीय लोगों की कोई पूछपरख नहीं होने से भी बेरोजगारों में गुस्सा है। अखिलेश कुमार कहते हैं सांसद अपने घर उमरिया से बाहर निकलते ही नहीं हैं। अगर कोई पत्र लिखवाना हो तो उसके लिए भी भटकना पड़ता है।
विधानसभा चुनाव 2013 में शहडोल संसदीय क्षेत्र की आठ में से छह सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। लोकसभा चुनाव 2014 में उसे सभी आठ सीटों पर बड़ी बढ़त मिली थी। जबकि 2016 के उपचुनाव में ज्ञान ने पुष्पराजगढ़ को छोड़ सात सीटों पर बढ़त बनाई थी। विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने चार सीटों कोतमा, अनूपपुर, पुष्पराजगढ़ और कटनी जिले की बड़वारा जीतकर बराबरी कर ली। भाजपा के खाते में जयसिंहनगर, जैतपुर, बांधवगढ़ और मानपुर सीटें आई हैं, लेकिन कुल वोटों में भाजपा को 4.92 लाख और कांग्रेस को 5.13 लाख मत मिले हैं। इस तरह कांग्रेस ने शहडोल संसदीय क्षेत्र में 21 हजार से अधिक मतों से अर्से बाद बढ़त बनाई है।