भोपाल

मैनिट से सलाह तो मांगी, पर निर्माण में अपनी मनमानी की

कई प्रमुख सड़कों पर बन गए एक्सीडेंटल जोन, अब बावडिय़ा आरओबी में सामने आया फॉल्ट

भोपालFeb 16, 2020 / 01:32 am

Ram kailash napit

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भोपाल. शहर में आरओबी, सड़क, चौराहे और रोटरी बनाने में पीडब्ल्यूडी, सीपीए और नगर निगम तकनीकी परामर्श भले ही मैनिट से लें, लेकिन काम मनमर्जी से ही करते हैं। नजीते में सुगम यातायात के बजाय सामने आते हैं एक्सीडेंटल प्वाइंट और जोखिम भरे रास्ते। इससे राजभवन रोटरी, पीएचक्यू की नवनिर्मित सड़क, व्यापम चौराहा, सुभाष आरओबी, सावरकर सेतु जैसे महत्वपूर्ण स्थलों के बाद एक्सीडेंटल जोन की सूची में बावडिय़ा आरओबी भी शामिल हो गया। मैनिट के ट्रैफिक एक्सपर्ट प्रो. सिद्धार्थ रोकड़े ने जो सुझाव दिए, उसे नजरअंदाज किया गया।?
सुभाष नगर आरओबी
-समस्या: मैदा मिल रोड के ट्रैफिक ब्रिज पर पहुंचने के इंतजाम नहीं हैं। यहां जिंसी से आने वाले वाहनों से टकराने का खतरा है। ब्रिज से उतरकर जिंसी की तरफ जाने का भी रास्ता नहीं है।
-सुधार: मैदा मिल साइट पर एसबीआई कालोनी के पास रोटरी बनाने की सलाह मैनिट ने दी थी। मैदा मिल, जिंसी, अंडरब्रिज से आने वाले वाहन इसी रोटरी से घूम सकेंगे। मेट्रो रेल डिपो बनने से इस रोटरी का काम बंद है।
सावरकर सेतु से एम्स रोड
-समस्या: सावरकर सेतु में फे्रक्चर अस्पताल और एम्स की तरफ वनवे है। नीचे से आने वाले वाहन सिंगल रूट से होकर आरओबी पर जाते हैं। ब्रिज से तेज रफ्तार उतरते वाहन रांग साइड आने वाले वाहनों से भिड़ चुके हैं।
-सुधार: एम्स और फ्रेक्चर साइट के वनवे आर्म पर आरओबी पर टर्निंग पर साइनेज बनाने की सलाह थी। नीचे जमीन पर वाहनों को ऊपर नहीं चढऩे का नोटिस बड़े अक्षरों में बोर्ड की शक्ल में लगाना था। पर ये नहीं किए गए।

बावडिय़ा आरओबी
-समस्या: नवनिर्मित आरओबी पर होशंगाबाद रोड पर वाहनों को दिक्कतें आ रही हैं। ये रॉंग साइड चल रहे हैं। इससे पीक ऑवर्स में पूरा बीआरटीएस और होशंगाबाद रोड जाम हो रहा है।
-सुधार: एम्स और फ्रेक्चर साइट के वनवे आर्म पर आरओबी पर टर्निंग पर साइनेज बनाने की सलाह थी। नीचे जमीन पर वाहनों को ऊपर नहीं चढऩे का नोटिस बड़े अक्षरों में बोर्ड की शक्ल में लगाना था। पर ये नहीं किए गए।
व्यापमं चौराहा
-समस्या: साल भर पहले एमपी नगर थाने के सामने की रोटरी नगर निगम ने तोड़ दी थी। इससे चौराहे का वेटिंग एरिया बढ़ गया, लेकिन सही जगह मार्किंग न होने और सिग्नल चालू नहीं होने से चालक भ्रमित होते हैं। ऐसे में वह मनमानी तरीके से चौराहा पार करते हैं।
-सुधार: ट्रैफिक पुलिस को प्लास्टिक के डिवाइडर रखने और वेटिंग एरिया कम करने आईलैंड बनाने की सलाह दी गई। मौके पर गिनती के प्लास्टिक के डिवाइडर लगे हैं।
राजभवन रोटरी
-समस्या: राजभवन से बाणगंगा की तरफ उतरने वाले मार्ग पर सीपीए ने रोटरी बनाकर गलती कर दी। सुधार की बजाए यहां डिवाइडर बनाकर समस्या बढ़ा दी गई। पहले जिस रोड से वाहन मुड़ते थे, वहां अब छोटी सी दिवालनुमा रोटरी बन गई है और अंधेरे में चालक टकराकर गिर रहे हैं।
-सुधार: रोटरी का आकार छोटा कर राजभवन से नीचे आने वाले वाहनों को चौड़ा मोड़ देना था। नीचे उतरने वाले वाहनों को रोटरी के पास तेजी से वाहन मोडऩे में मुश्किलें होती हंै।
पीएचक्यू रोड
-समस्या: खटलापुरा से बाणगंगा के संकरे रास्ते को डबललेन बना दी। एमवीएम के आगे मोड़ पर बीएसएनएल का टॉवर अंधेरे में नजर ही नहीं आता। यहां स्पीड ब्र्रेकर नहीं होने से कई युवा रेसिंग करते हैं।
-सुधार: रात में चमकने वाले ब्लिंकर्स लगाने का ेकहा और बीएसएनएल का टॉवर पहले हटना था, लेकिन दोनों नहीं हुआ।

-प्रोजेक्ट के डिजाइन में मैनिट की सलाह पर परिवर्तन करते हैं। तकनीकी दिक्कतें कई बार यातायात शुरू होने पर सामने आती हैं, सुधार करते रहते हैं।
एमपी सिंह, ईई, पीडब्ल्यूडी
-राजभवन प्रोजेक्ट मैनिट ने जैसा कहा था, हमने बना दिया। अभी भी आपत्ति है तो मौके पर आकर बता दें, क्या कैसे बनाना है।
दीप जैन, ईई, सीपीए
-सीपीए-पीडब्ल्यूडी को फॉल्ट से बचने की सलाह दी थी, लेकिन जैसा कहा वैसा किया नहीं। सुधार कार्यों में गंभीरता जरूरी है।
प्रो. सिद्धार्थ रोकड़े, मैनिट
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