लीजेंड सीरियल और फिल्मों के रिक्रिएशन पर उन्होंने कहा कि एक बार जो बन जाए उसका रिक्रिएशन मुश्किल हो जाता है। यंग जनरेशन के थिएटर के साथ एक्टिंग में लगाव पर बेदी ने कहा कि कोई भी कलाकार अगर 15 दिन अपना काम छोड़कर सीधे परफॉर्म करने के लिए चले जाए तो वे नहीं कर पाएंगे। मैं खुद पिछले 40 साल से भी ज्यादा समय से एक्टिंग कर रहा हूं लेकिन एक भी ऐसा महीना नहीं गया है जब स्टेज पर मैंने परफॉर्म न किया हो।
बेदी ने कहा कि स्टेज पर एक कलाकार को डबल मिनिंग जोक पर हंसाना तो बहुत आसान होता है, लेकिन अपने संवाद और दैहिक अभिनय के जरिए हंसाना एक कला है। सीरियल्स में मेरे पास भी कई बार ऐसे मौके आए, लेकिन मैंने ह्यूमर का यूज किया। इसलिए मेरे किरदार आज भी याद किए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि उरी फिल्म में मेरे प्ले को बार-बार डकार लेते हुए अपने संवाद बोलना था। मैंने इन सिन्स को डब नहीं किया। डकार के शॉट के 100 रिटेक हुए। अपने अंदर छिपे एक शायर और गायक होने की बात पर उन्होंने बताया कि मेरे पिता गालिब को बहुत पसंद करते थे। वे डांटते भी तो गालिब का शेर सुनाकर। उनकी शायरियों ने मुझे भी गालिक का फैन बना दिया। मैं आज भी उनकी शायरियों को रोज पढ़ता हूं।