scriptएक्ट्रेस की शादी के रिसेप्शन में मिला था ‘दिलरुबा’ का किरदार | actor rakesh bedi : role of 'Dilruba' was found in actress wedding | Patrika News

एक्ट्रेस की शादी के रिसेप्शन में मिला था ‘दिलरुबा’ का किरदार

locationभोपालPublished: Sep 23, 2019 02:21:49 pm

Submitted by:

hitesh sharma

actor rakesh bedi : पत्रिका प्लस से बाचतीत में टीवी और फिल्म अभिनेता राकेश बेदी ने कहा

एक्ट्रेस की शादी के रिसेप्शन में मिला था 'दिलरुबा' का किरदार

एक्ट्रेस की शादी के रिसेप्शन में मिला था ‘दिलरुबा’ का किरदार

भोपाल। टीवी और फिल्म अभिनेता राकेश बेदी ने पत्रिका प्लस से विशेष बातचीत में बताया कि श्रीमान-श्रीमती के लिए मुझे जब रोल का ऑफर हुआ तो राइटर ने कहा कि आपको हैंडपैक्ड हसबैंड का रोल करना होगा। हैंडपैक्ड तो वही होता है जो सिर्फ आपकी हां में हां मिलाए, लेकिन उसके एक लेवल ऊपर कैसे जाएगा। शूटिंग से एक रात पहले एक बड़ी एक्ट्रेस की शादी थी। मैंने उसके पति को देखा। तब समझ आ गया था कि मेरा वो कैरेक्टर ‘दिलरुबा’ ऐसा ही होगा। मैं आधा घंटे तक स्टेज के पास खड़े होकर उसे ऑब्जर्व करता रहा। मैंने पूरी तरह से उस कैरेक्टर को पोट्र्रेट नहीं किया बल्कि एक हद तक ऐसा ही रोल को उस सीरियल में जोड़कर रखा।

लीजेंड सीरियल और फिल्मों के रिक्रिएशन पर उन्होंने कहा कि एक बार जो बन जाए उसका रिक्रिएशन मुश्किल हो जाता है। यंग जनरेशन के थिएटर के साथ एक्टिंग में लगाव पर बेदी ने कहा कि कोई भी कलाकार अगर 15 दिन अपना काम छोड़कर सीधे परफॉर्म करने के लिए चले जाए तो वे नहीं कर पाएंगे। मैं खुद पिछले 40 साल से भी ज्यादा समय से एक्टिंग कर रहा हूं लेकिन एक भी ऐसा महीना नहीं गया है जब स्टेज पर मैंने परफॉर्म न किया हो।

डबल मिनिंग जोक पर हंसाना आसान
बेदी ने कहा कि स्टेज पर एक कलाकार को डबल मिनिंग जोक पर हंसाना तो बहुत आसान होता है, लेकिन अपने संवाद और दैहिक अभिनय के जरिए हंसाना एक कला है। सीरियल्स में मेरे पास भी कई बार ऐसे मौके आए, लेकिन मैंने ह्यूमर का यूज किया। इसलिए मेरे किरदार आज भी याद किए जाते हैं।
डकार के शॉट के लिए दिए 100 टेक
उन्होंने बताया कि उरी फिल्म में मेरे प्ले को बार-बार डकार लेते हुए अपने संवाद बोलना था। मैंने इन सिन्स को डब नहीं किया। डकार के शॉट के 100 रिटेक हुए। अपने अंदर छिपे एक शायर और गायक होने की बात पर उन्होंने बताया कि मेरे पिता गालिब को बहुत पसंद करते थे। वे डांटते भी तो गालिब का शेर सुनाकर। उनकी शायरियों ने मुझे भी गालिक का फैन बना दिया। मैं आज भी उनकी शायरियों को रोज पढ़ता हूं।
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