प्रदेश सरकार ने 2016 में रूफ टॉप सोलर पैनल योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत कोई भी व्यक्ति घर की छत पर सोलर पैनल लगाकर उससे बनी बिजली को न केवल खुद उपयोग कर सकता था, बल्कि अतिरिक्त बिजली ग्रिड को भी भेज सकता था। जितनी बिजली ग्रिड को भेजी जाएगी वह मकान मालिक के खाते में क्रेडिट होती जाएगी। इसके बदले मकान का मालिक जो बिजली, विद्युत विभाग से लेगा उसके बिल में बनाई गई बिजली की यूनिट्स माइनस हो जाएगी। योजना में बैटरी लगाने की जरूरत नहीं रहेगी। शासन की ओर से इसके लिए 30 फीसदी की छूट भी दी जा रही थी।
– अब तक छह मेगावाट का काम, निजी एक भी नहीं ऊर्जा विकास निगम की ओर से योजना की शुरुआत से अब तक छह मेगावॉट के प्रोजेक्ट लगाए गए हैं। निगम ने इसके लिए भारत संचार निगम लिमिटेड से अनुबंध किया है। इसके तहत प्रदेश में स्थित निगम के सभी कार्यालयों व कलेक्ट्रेट कार्यालयों की छत पर सोलर पैनल लगाने का काम चल रहा है। अब तक दो दर्जन से अधिक कलेक्ट्रेट भवनों पर पैनल लगाए जा चुके हैं। वहीं एक भी आम आदमी ने योजना में रुचि नहीं दिखाई है।
‘रूफ टॉप सोलर पैनल स्कीम के तहत अब तक छह मेगावॉट के पैनल छतों पर लगाए गए हैं, बीएसएनएल के सभी कार्यालयों और सभी कलेक्ट्रेट की छत पर पैनल लगाए जा रहे हैं। निजी व्यक्तियों की ओर से अभी कोई आवेदन नहीं आया है। ’
– ओपी शर्मा, पीआरओ, ऊर्जा विकास निगम