scriptसालाना 30 लाख रु. का खर्च, फिर भी चूहे बेकाबू | Rs 30 lakh annually Spent, yet the rat is uncontrollable | Patrika News

सालाना 30 लाख रु. का खर्च, फिर भी चूहे बेकाबू

locationभोपालPublished: Sep 27, 2018 01:18:57 am

Submitted by:

Ram kailash napit

सरकारी अस्पतालों में मरीज हो रहे परेशान

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Rat

भोपाल. सरकारी अस्पतालों में असुविधाओं और गंदगी को लेकर लोग अक्सर परेशान दिखते हैं। इलाज के लिए मरीजों का परेशान होना आम है, लेकिन अस्पतालों में चूहे भी मरीजों को परेशान करने लगे हैं। बीते माह ही चूहों ने हमीदिया अस्पताल की मर्चुरी में रखे शव की आंख कुतर दी थी, वहीं एक अन्य महिला मरीज के पैर के अंगूठे को चूहों ने कुतर डाला। यह स्थिति सिर्फ हमीदिया अस्पताल की ही नहीं बल्कि सुल्तानिया और जेपी सहित तमाम सरकारी अस्पतालों की है। इन अस्पतालों में चूहों के साथ अन्य जानवरों और कीड़ों के खात्मे के लिए हर साल तीस लाख रुपए से अधिक खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद अस्पतालों में चूहों का आतंक खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। गौरतलब है कि दो साल पहले इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों के कहर को खत्म करने के लिए अभियान चलाया गया था, इसमें करीब 50 लाख रुपए खर्च हुए थे।

हमीदिया अस्पताल में चूहों का आतंक
हमीदिया अस्पताल में चूहों ने पांच करोड़ के गामा कैमरे सहित एक्स-रे मशीन के वायर काट दिए। कई दिनों तक मरीज परेशान होते रहे। इलाज शुरू करवाने के लिए उन्हें बाहर से जांच करवानी पड़ी। चूहों ने एक्स-रे फि ल्म को भी नहीं बख्शा। मर्चुरी में चूहे डेड बॉडी को काट रहे हैं। सेंट्रल दवा स्टोर रूम में भी चूहों का आतंक है। दवाइयों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
बीएमएचआरसी में खटमल बने आफत
भोपाल मेमोरियल साफ-सफाई के मामलों में शहर के अन्य अस्पतालों से कहीं बेहतर है। यहां चूहों की समस्या तो नहीं है लेकिन मरीज खटमल से परेशान रहते हैं। मरीज कई बार इसकी शिकायत भी कर चुके हैं। यही नहीं प्रबंधन भी खटमल मारने के लिए अभियान चला चुका है लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ।
आइसीयू तक है इनकी पहुंच
अस्पतालों के आइसीयू, पीआइसीयू सहित वार्ड में मरीजों के पलंग के नीचे तक चूहे पहुंच रहे हैं। यहां तक कि स्टोर रूम में रखी दवाइयों तक पहुंचकर कई बार दवाइयों के रैपर भी कुतर देते हैं। वहीं बाहर सोने वाले अधिकतर परिजन भी इनसे परेशान हैं। बारिश के कारण इन दिनों अचानक इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो गई है। अस्पताल के बाहर बने बिल में पानी भरने से ये अस्पताल की ओर रुख कर रहे हैं। रात के समय तलघर में आसानी से इन्हें घूमते देखा जा सकता है।
चूहों के काटने पर डॉक्टर को दिखाएं
मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. आदर्श वाजपेयी के मुताबिक चूहों के काटने से गंभीर नुकसान हो सकता है। अस्पतालों में रहने वाले चूहे मांस के टुकड़े, दवाएं और अन्य संक्रामक वस्तुएं खाते हैं। चूहे के काटने पर डॉक्टर के पास जाने में देर नहीं करनी चाहिए, क्योंकि 72 घंटे से अधिक होने पर इन्फेक्शन कंट्रोल नहीं किया जा सकता। यदि डायबिटिक पेशेंट को चूहे ने काट लिया है और उनकी शुगर कंट्रोल में नहीं है, तो उन्हें ये इन्फेक्शन और भी तेजी से फैलता है। इतना ही नहीं उस अंग को काटना भी पड़ सकता है।
अस्पतालों में साफ सफाई का बजट
हमीदिया अस्पताल – 12 लाख रुपए सालाना
जेपी अस्पताल – 3 लाख रुपए साल
बीएमएचआरसी – 10 लाख रुपए साल
(अन्य अस्पतालों में सालाना पांच लाख रुपए तक का खर्च)


हम साल भर साफ सफाई करवाते हैं, इसके लिए ठेका दिया गया है। यही नहीं हर छह महीने में पेस्ट कंट्रोल किया जाता है। चूहों को बहुत ज्यादा दिक्कतें नहीं हैं।
डॉ. एके श्रीवास्तव, अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल
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