हमीदिया अस्पताल में चूहों ने पांच करोड़ के गामा कैमरे सहित एक्स-रे मशीन के वायर काट दिए। कई दिनों तक मरीज परेशान होते रहे। इलाज शुरू करवाने के लिए उन्हें बाहर से जांच करवानी पड़ी। चूहों ने एक्स-रे फि ल्म को भी नहीं बख्शा। मर्चुरी में चूहे डेड बॉडी को काट रहे हैं। सेंट्रल दवा स्टोर रूम में भी चूहों का आतंक है। दवाइयों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
भोपाल मेमोरियल साफ-सफाई के मामलों में शहर के अन्य अस्पतालों से कहीं बेहतर है। यहां चूहों की समस्या तो नहीं है लेकिन मरीज खटमल से परेशान रहते हैं। मरीज कई बार इसकी शिकायत भी कर चुके हैं। यही नहीं प्रबंधन भी खटमल मारने के लिए अभियान चला चुका है लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ।
अस्पतालों के आइसीयू, पीआइसीयू सहित वार्ड में मरीजों के पलंग के नीचे तक चूहे पहुंच रहे हैं। यहां तक कि स्टोर रूम में रखी दवाइयों तक पहुंचकर कई बार दवाइयों के रैपर भी कुतर देते हैं। वहीं बाहर सोने वाले अधिकतर परिजन भी इनसे परेशान हैं। बारिश के कारण इन दिनों अचानक इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो गई है। अस्पताल के बाहर बने बिल में पानी भरने से ये अस्पताल की ओर रुख कर रहे हैं। रात के समय तलघर में आसानी से इन्हें घूमते देखा जा सकता है।
मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. आदर्श वाजपेयी के मुताबिक चूहों के काटने से गंभीर नुकसान हो सकता है। अस्पतालों में रहने वाले चूहे मांस के टुकड़े, दवाएं और अन्य संक्रामक वस्तुएं खाते हैं। चूहे के काटने पर डॉक्टर के पास जाने में देर नहीं करनी चाहिए, क्योंकि 72 घंटे से अधिक होने पर इन्फेक्शन कंट्रोल नहीं किया जा सकता। यदि डायबिटिक पेशेंट को चूहे ने काट लिया है और उनकी शुगर कंट्रोल में नहीं है, तो उन्हें ये इन्फेक्शन और भी तेजी से फैलता है। इतना ही नहीं उस अंग को काटना भी पड़ सकता है।
हमीदिया अस्पताल – 12 लाख रुपए सालाना
जेपी अस्पताल – 3 लाख रुपए साल
बीएमएचआरसी – 10 लाख रुपए साल
(अन्य अस्पतालों में सालाना पांच लाख रुपए तक का खर्च)
हम साल भर साफ सफाई करवाते हैं, इसके लिए ठेका दिया गया है। यही नहीं हर छह महीने में पेस्ट कंट्रोल किया जाता है। चूहों को बहुत ज्यादा दिक्कतें नहीं हैं।
डॉ. एके श्रीवास्तव, अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल