संघ ये भी अच्छे से जानता है कि विधायक को घर बैठाने से भीतरघात की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। संघ ने उन सीटों को चिन्हित कर लिया है जहां टिकट को लेकर आंतरिक विरोध उठ सकता है।
इसे देखते हुए संघ ने भाजपा संगठन को मध्यप्रदेश में भी उत्तर प्रदेश का फार्मूला लागू करने को कहा है। भाजपा संगठन को इन सीटों पर नए चेहरों के रुप में संघ के लोगों को चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव दिया है।
संघ के सूत्रों का कहना है कि उत्तरप्रदेश में बसपा और सपा को तो?ने के लिए यह फार्मूला अपनाया गया था, इसके चलते संघ ने अपने लोगों को ब?ी संख्या में टिकट दिए। संघ से जुड़े सूत्रों की माने तो भाजपा संगठन को 40 ऐसे नामों की सूची सौंपी गई है, जो तीनों वर्ग पूरे करने के बाद भाजपा में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। दरअसल संघ का मानना है कि एंटी इनकमबेंसी और स्थानीय असंतोष के कारण वर्तमान विधायकों के टिकट काटकर इन लोगों को अवसर दिया जाता है तो इससे पार्टी के अंदर आंतरिक विरोध नहीं होगा।
कारण कि ये वो लोग हैं जो न तो भाजपा के किसी गुट से है और न ही किसी नेता के खास हैं। संघ का मानना है कि उसका सीधा दखल होने के बाद दावेदारों के प्रतिस्पर्धी विरोध से निपटना भी आसान है।
उल्लेखनीय है कि जो लोग संघ के प्रथम, व्दितीय और तृतीय वर्ग पूरा कर लेते हैं, उन्हें पूर्णकालिक प्रचारक या अनुषांगिक संगठनों में काम करने भेजा जाता है। इसी के साथ कुछ लोगों को संघ भाजपा में भी काम करने भेजता है, जिससे पार्टी संघ की विचारधारा पर काम करती रहे। अब संघ इन्हीं लोगों को मुख्यधारा में लाने की तैयारी में है।
संघ कोटे से पहले भी दिए गए हैं टिकट
इसके पहले भी मध्यप्रदेश में संघ कोटे से टिकट दिए जाते रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी पहला टिकट संघ के कोटे से ही मिला था। इसके अलावा स्पीकर सुमित्रा महाजन, राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, संगठन महामंत्री रहें कृष्णमुरारी मोघे, विधायक उषा ठाकुर जैसे नाम सीधे संघ के कोटे के माने जाते रहे।