यही वजह है कि इस बार संघ ने अप्रत्यक्ष रुप से चुनाव की पूरी कमान अपने हाथ में ली है। इसकी पुष्टी प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने बुधवार को सतना में विधायकों सांसदों से वन—टू—वन में चर्चा के दौरान की।
उन्हें हाईकमान ने विंध्य की चारों लोकसभा सीटों का फीडबैक लेने भेजा था। उन्होंने साफ तौर पर यह भी कहा कि इस बार लोकसभा में टिकट भी संघ के सर्वे के हिसाब से ही तय होंगे।
ऐसे में किसी भी नेता के आका की सिफारिश काम नहीं करेगी। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों इंदौर और ग्वालियर में हुई संघ की बैठकों तय किया गया है कि संघ के पदाधिकारी भी चुनाव में सक्रिय रहेंंगे और निर्णयों में उनसे भी पूछा जाएगा। सहस्त्रबुद्धे ने हर जिले के नेताओं से सामूहिक चर्चा में पहले ही साफ कर दिया कि वे रायशुमारी के लिये नहीं आए है। इसे लेकर कुछ सदस्यों में असंतोष तो देखने को मिला। सहस्त्रबुद्धे ने सबसे पहले रीवा संभाग के जिलेवार सांसद और विधायकों से मुलाकात की। पहले सीधी उसके बाद रीवा और अंत में सतना के सांसद-विधायकों से सहस्त्रबुद्धे ने अकेले में मुलाकात की। इस दौरान पूर्व विधायक सतना शंकरलाल तिवारी और सुरेन्द्र सिंह ने भी मुलाकात की।
विधानसभा में उम्मीद से ज्यादा सीटें
विंध्य एक मात्र वह इलाका है जहां भाजपा को विधानसभा चुनाव में उम्मीद से ज्यादा सीटे मिली हैं। विनय सहस्त्रबुद्धे के साथ हुई चर्चा में कुछ विधायकों ने वर्तमान सांसद को टिकट ना देने की सिफारिश की है। इसमें सीधी और रीवा संसदीय क्षेत्र शामिल है।
विंध्य एक मात्र वह इलाका है जहां भाजपा को विधानसभा चुनाव में उम्मीद से ज्यादा सीटे मिली हैं। विनय सहस्त्रबुद्धे के साथ हुई चर्चा में कुछ विधायकों ने वर्तमान सांसद को टिकट ना देने की सिफारिश की है। इसमें सीधी और रीवा संसदीय क्षेत्र शामिल है।