फिलहाल देश के बाहर केवल नेपाल में आरएसएस का नेटवर्क मजबूत है। करीब 38 देशों में संघ की मौजूदगी तो है, लेकिन प्रभावी स्थिति नहीं है। इसलिए संघ ने विदेशों में नेटवर्क मजबूत करने का प्लान बनाया है।
संघ के नए प्लान में वे देश प्राथमिकता पर हैं जहां पर बड़ी संख्या में भारतीय हैं या बौद्ध धर्म का ज्यादा असर है। संघ का मानना है कि ऐसे देशों में विस्तार में आसानी रहेगी। इसके लिए संघ टेक्नोलॉजी में अपडेट युवाओं का सहारा लेगा, क्योंकि विदेशों में पहुंच के लिए यह आसान जरिया है।
39 देशों में है संघ
फिलहाल संघ का नेटवर्क दुनिया के 39 देशों तक है। हालांकि भारत-नेपाल के अलावा ज्यादातर देशों में नियमित शाखाएं नहीं हैं। कुछ देशों में साप्ताहिक, तो कुछ जगह मासिक शाखाएं हैं। अब इनको नियमित करने और इनके विस्तार पर फोकस होगा। भोपाल में संघ प्रमुख के सात दिवसीय प्रवास के दौरान तीन दिन अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक हुई। इसमें नेपाल के प्रतिनिधि भी आए थे।
इन देशों पर फोकस
संघ के फोकस में नेपाल, भूटान, मलेशिया, श्रीलंका, सिंगापुर, मारीशस जैसे देशों के अलावा अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी भी हैं। ब्रिटेन, अमरीका आदि भारतीयों की अधिक संख्या के कारण प्राथमिकता पर हैं। खास बात यह है कि चीन को लेकर भी संघ सतर्क है। संघ चीन में भी पहुंच बनाने का काम करेगा।
अभी इतनी पहुंच
146 से ज्यादा जगह अमरीका में संघ की साप्ताहिक शाखा
84 से ज्यादा जगहों पर ब्रिटेन में हफ्ते में दो बार शाखाएं
फिनलैंड में संघ का ई-शाखाओं का प्रयोग, ऑनलाइन प्रशिक्षण
इस समय क्यों… : मोदी सरकार के कारण संघ को लगता है कि यह समय सबसे मुफीद है जब वह राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के एजेंडे को विदेशों में बसे भारतीयों के साथ मजबूती दे सकता है।
146 से ज्यादा जगह अमरीका में संघ की साप्ताहिक शाखा
84 से ज्यादा जगहों पर ब्रिटेन में हफ्ते में दो बार शाखाएं
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इस समय क्यों… : मोदी सरकार के कारण संघ को लगता है कि यह समय सबसे मुफीद है जब वह राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के एजेंडे को विदेशों में बसे भारतीयों के साथ मजबूती दे सकता है।