मामला सिंगरौली जिले के जनपद पंचायत बैढन का है। आवेदक भोला प्रसाद ने राज्य सूचना आयोग में अपील प्रकरण में बताया कि उसे जनपद में किसी भी आरटीआई आवेदन पर जानकारी नहीं दी जा रही। यही नहीं उसे जातिसूचक शब्दों से अपमनित कर भेदभाव भी किया जाता है। मामले की सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जब जनपद पंचायत के लोक सूचना अधिकारी बृजेंद्र तिवारी से भोला प्रसाद साकेत के आरटीआई आवेदन के बारे में पूछा तो उनका जवाब था कि उसका कोई आवेदन कार्यालय में प्राप्त ही नहीं हुआ था।
सूचना आयुक्त (information commission) ने पाया पाया कि जनपद पंचायत के अध्यक्ष के पास कार्यालय की सील लगी हुई पावती मौजूद है लेकिन कार्यालय के आवक में इस आवेदन की कोई इंट्री नहीं है। सूचना आयुक्त सिंह ने जब आरटीआई आवेदन पर लगी आवक शाखा की सील के बारे में पूछा तो इसका कोई संतोषजनक उत्तर लोक सूचना अधिकारी नहीं दे पाए। सिंह ने अपने फैसले में कहा कि अगर पावती नकली है तो यह शासकीय दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की श्रेणी में आता है, इसकी एफआईआर कराना चाहिए थी, लेकिन ऐसा भी नहीं किया गया।
आयोग ने शुरू की जांच, कार्यवाही के आदेश
प्रकरण में आवश्यक कार्रवाई के लिए सूचना आयोग ने दस्तावेज सिंगरौली कलेक्टर को भेजते हुए आरटीआई अधिनियम के तहत आयोग स्तर पर सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत जांच शुरु की है। साथ ही जनपद पंचायत बैढऩ के सीईओ अशोक कुमार मिश्रा से स्पष्टीकरण मांगा गया (information commission) है। प्रकरण में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने 10 दिन के भीतर जनपद अध्यक्ष को जानकारी देने के आदेश जारी किए हैं।
प्रकरण में आवश्यक कार्रवाई के लिए सूचना आयोग ने दस्तावेज सिंगरौली कलेक्टर को भेजते हुए आरटीआई अधिनियम के तहत आयोग स्तर पर सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत जांच शुरु की है। साथ ही जनपद पंचायत बैढऩ के सीईओ अशोक कुमार मिश्रा से स्पष्टीकरण मांगा गया (information commission) है। प्रकरण में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने 10 दिन के भीतर जनपद अध्यक्ष को जानकारी देने के आदेश जारी किए हैं।