इसके पीछे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला दिया। शिवपुरी से अपनी बेटी के दाखिले के लिए पहुंचे रामकुमार गुप्ता सहित अन्य अभिभावकों ने लेफ्ट आउट राउंड में गड़बड़ी के आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि यदि निजी कॉलेज में लेफ्ट आउट राउंड हुआ तो वहां कॉलेज प्रबंधन अपने लोगों को प्रवेश देगा।
Counseling से पहले ही उन्हें दलालों के फोन आ रहे थे कि 20 से 25 लाख रुपए में मनचाहे कॉलेज में दाखिला दिला देंगे।
Counseling से पहले ही उन्हें दलालों के फोन आ रहे थे कि 20 से 25 लाख रुपए में मनचाहे कॉलेज में दाखिला दिला देंगे।
सीट अलॉट नहीं हुई तो किया हंगामा:
हालांकि जानकारों का कहना है जिन छात्रों को सेकेंड राउंड में च्वाइस Filling और सीट लॉकिंग का अधिकार नहीं मिला वे ही लोग हंगामा कर रहे हैं। जानकारी अनुसार डीएमई ने पहले राउंड में जिन अभ्यर्थियों ने च्वाइस Filling और सीट लॉकिंग की थी, और उन्हें सीट अलॉटमेंट नहीं हुआ। दूसरे राउंड में उसी स्थिति में सीट अलॉटमेंट कर दिया। इससे कम नंबर वालों को अच्छा कॉलेज मिल गया और ज्यादा नंबर वाले पीछे रह गए।
हालांकि जानकारों का कहना है जिन छात्रों को सेकेंड राउंड में च्वाइस Filling और सीट लॉकिंग का अधिकार नहीं मिला वे ही लोग हंगामा कर रहे हैं। जानकारी अनुसार डीएमई ने पहले राउंड में जिन अभ्यर्थियों ने च्वाइस Filling और सीट लॉकिंग की थी, और उन्हें सीट अलॉटमेंट नहीं हुआ। दूसरे राउंड में उसी स्थिति में सीट अलॉटमेंट कर दिया। इससे कम नंबर वालों को अच्छा कॉलेज मिल गया और ज्यादा नंबर वाले पीछे रह गए।
इससे पहले मध्यप्रदेश सरकार की अपील सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो जाने के बाद प्रदेश में मेडिकल और बीडीएस के लिए राज्यस्तरीय संयुक्त नीट यूजी Counseling की पहले और दूसरे चरण का प्रवेश निरस्त कर दिया गया है। दोनों ही पाठ्यक्रमों में अब नए सिरे से प्रवेश प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
Counseling का तीसरा चरण शनिवार से शुरू होना था, लेकिन अदालत में होने के कारण इसके प्रवेश भी अब दोनों चरणों के बाद ही होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार की अपील खारिज करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया कि मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में सिर्फ मध्यप्रदेश के ही छात्रों को प्रवेश दिया जाए।
10 दिन का समय
प्रदेश सरकार के वकील पुरुषेन्द्र कौरव ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रही जस्टिस एसए बोब्डे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ से आग्रह किया, हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए 10 दिन का समय दिया जाए। इस अवधि में दोबारा Counseling की जा सकेगी। इस पर पीठ ने कहा, सामान्य तौर पर ऐसे आग्रह स्वीकार नहीं किए जाते, लेकिन अ-साधारण परिस्थिति में दोबारा Counseling के लिए यह समय दिया जा सकता है।
प्रदेश सरकार के वकील पुरुषेन्द्र कौरव ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रही जस्टिस एसए बोब्डे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ से आग्रह किया, हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए 10 दिन का समय दिया जाए। इस अवधि में दोबारा Counseling की जा सकेगी। इस पर पीठ ने कहा, सामान्य तौर पर ऐसे आग्रह स्वीकार नहीं किए जाते, लेकिन अ-साधारण परिस्थिति में दोबारा Counseling के लिए यह समय दिया जा सकता है।
बाहरी छात्रों के प्रवेश से आई दिक्कत
Counseling रद्द होने से दोनों राउंड में चयनित छात्रों की दिक्कत बढ़ गई है। हालांकि, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि मप्र के मूल निवासी छात्रों को दिक्कत नहीं होगी, उनके प्रवेश यथावत रहेंगे।उनकी फीस भी जमा रहेगी। सिर्फ बाहरी राज्यों के छात्रों के जाने से खाली हुई सीटों पर ही नए दाखिले होंगे। इधर, कोर्ट के निर्देश आने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव मेडिकल एजुकेशन गौरी सिंह ने इस संबंध एक बैठक भी ली।
Counseling रद्द होने से दोनों राउंड में चयनित छात्रों की दिक्कत बढ़ गई है। हालांकि, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि मप्र के मूल निवासी छात्रों को दिक्कत नहीं होगी, उनके प्रवेश यथावत रहेंगे।उनकी फीस भी जमा रहेगी। सिर्फ बाहरी राज्यों के छात्रों के जाने से खाली हुई सीटों पर ही नए दाखिले होंगे। इधर, कोर्ट के निर्देश आने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव मेडिकल एजुकेशन गौरी सिंह ने इस संबंध एक बैठक भी ली।
यह था मामला
यूजी Counseling में बाहरी राज्यों के छात्रों को सीट आवंटन करने का मामला सामने आया था। इस पर सामाजिक कार्यकर्ता विनायक परिहार ने मप्र हाइकोर्ट में याचिका लगाकर कहा था कि विभाग ने स्टेट कोटे की सीट पर जानबूझकर दूसरे राज्यों के छात्रों को प्रवेश दिया है। इस पर हाइकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 22 अगस्त को Counseling रद्द करने का फैसला सुनाया। हाइकोर्ट के निर्णय को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
यूजी Counseling में बाहरी राज्यों के छात्रों को सीट आवंटन करने का मामला सामने आया था। इस पर सामाजिक कार्यकर्ता विनायक परिहार ने मप्र हाइकोर्ट में याचिका लगाकर कहा था कि विभाग ने स्टेट कोटे की सीट पर जानबूझकर दूसरे राज्यों के छात्रों को प्रवेश दिया है। इस पर हाइकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 22 अगस्त को Counseling रद्द करने का फैसला सुनाया। हाइकोर्ट के निर्णय को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।