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भोपाल

फसल बीमा पर बवाल, शिवराज सरकार के बकाया में उलझी कमलनाथ सरकार

– मोदी सरकार की दो टूक : पहले पुराना बकाया दो, फिर मिलेगी बीमा राशि, मुश्किल में आए किसान

भोपालNov 26, 2019 / 08:07 am

जीतेन्द्र चौरसिया

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भोपाल। प्रदेश के लाखों किसानों पर नियमों के दांव-पेंच की दोहरी मार पड़ी है। बारिश से कहर पर राहत राशि में भारी कटौती के बाद अब मोदी सरकार ने मध्यप्रदेश को फसल बीमा राशि पर अपना हिस्सा देने से इंकार कर दिया है। फसलों की बर्बादी पर मदद की राह देख रहे मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार से मोदी सरकार ने दो टूक कह दिया है कि पहले पुराना बकाया दो, तब केंद्र अपने हिस्से की राशि देगा।

खास बात ये कि केंद्र ने यह रवैया इस साल का पूरा पैसा कमलनाथ सरकार से लेने के बाद अपनाया है। अब कमलनाथ सरकार परेशान है कि पिछली शिवराज सरकार के बकाया को कैसे चुकाए। इसका नुकसान यह कि फिलहाल प्रदेश के किसान फसल बीमा मिलने से वंचित हो गए हैं।


ये है मामला : बोझ पिछला, भुगतान अब अटका-

दरअसल, पीएम फसल बीमा योजना में केंद्र और राज्य सरकार को 60 व 40 फीसदी का शेयर होता है। इसमें केंद्र सरकार 60 फीसदी राशि का खर्च उठाती है, जबकि राज्य सरकार 40 फीसदी राशि देती है। कांग्रेस ने दिसंबर 2018 में सत्ता संभाली, तो इस वित्तीय वर्ष का 505 करोड़ रुपए केंद्र सरकार को पीएम फसल बीमा योजना में अपने हिस्से के 40 फीसदी के रूप में दे दिया।

इसके बाद कमलनाथ सरकार इंतजार कर रही थी कि जुलाई-अगस्त में बारिश के कहर से किसानों की जो फसलें बर्बाद हुई है, तो बीमा कंपनी के माध्यम से फसल बीमा की राशि आने पर किसानों को दी जाएगी। लेकिन, केंद्र ने इससे इंकार कर दिया। इसमें केंद्र सरकार ने कह दिया कि 2015-16, 2016-17 और 2017-18 का 40 फीसदी के हिसाब से शेयर पहले दिया जाए। इसके तहत 2300 करोड़ रुपए की राशि बकाया है। इस पीरियड में भाजपा की शिवराज सरकार प्रदेश में सत्तारूढ़ थी। अब कांग्रेस सरकार इस पर नाराज है कि पिछली सरकार ने अपना हिस्सा नहीं दिया और उसका बोझ अब उसे उठाना पड़ेगा।

पहले ही केंद्र कम कर चुका राहत राशि-
इससे पहले केंद्र की मोदी सरकार ने बारिश के कहर पर आपदा राहत राशि में भी भारी कटौती की है। मध्यप्रदेश में 17 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था, लेकिन तय मापदंडों के हिसाब से मप्र सरकार ने 6623 करोड़ रुपए की राहत राशि की मांग केंद्र से की थी। लेकिन, केंद्र ने महज एक हजार करोड़ रुपए की राशि दी। इस पर मध्यप्रदेश पहले ही परेशान है, उस पर फसल बीमा राशि अटकने से मुश्किल दोगुना हो गई है।


आर्थिक स्थिति खराब, पैसे की किल्लत-

सरकारी खजाने की हालत पहले से ही खराब है। पिछली शिवराज सरकार में ही कैग रिपोट्र्स के मुताबिक कर्ज 1.83 लाख करोड़ तक पहुंच गया था, जबकि इसके बाद से भी कर्ज लगातार बढ़ा है। सत्ता में आने के बाद कमलनाथ सरकार को भी लगभग 13600 करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है। सरकार के पास नए निर्माण कामों के लिए पैसा नहीं है। वेतन-भत्तों को लेकर भी सरकार लगातार मुश्किल में रही है। ऐसे में अब फसल बीमा का बोझ चुनौती बढ़ा रहा है।


फैक्ट फाइल-
– 2300 करोड़ पिछले तीन सालों के बकाया

– 505 करोड़ रुपए अभी कमलनाथ सरकार ने दिए
– 60 फीसदी केंद्र व 40 फीसदी राज्य की शेयरिंग बीमा योजना में


इनका कहना-

पिछली शिवराज सरकार ने फसल बीमा के 2300 करोड़ रुपए नहीं चुकाए थे। केंद्र को हमने अभी के 505 करोड़ रुपए पूरे दिए, उसके बाद केंद्र ने हमें पुराने बकाया के बारे में बताया है। केंद्र सरकार लगातार मध्यप्रदेश और किसानों से भेदभाव कर रही है।
– सचिन यादव, मंत्री, कृषि विभाग, मप्र

 

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