भेल में करीब 10-12 इमारतें है। जिसमें स्कूल भवन, पुराना बेल कॉलेज, आवास, बंगले आदि खाली पड़ी है। अब ये इमारतें जर्जर होने लगी हैं। किसी में दरारें आ गई हैं, तो कुछ इमारतों में ताला लगे होने से खिडक़ी, दरवाजे खराब हो रहे हैं।
भेल नगर सलाहकार समिति के सदस्य दीपक गुप्ता ने बताया कि हमने लगातार बैठकों में इन भवनों को किराए में देने की मांग करते आ रहे हैं। इस संबंध में तत्कालीन नगर प्रशासन पीके मिश्रा ने दो साल पहले फाइल कार्पोरेट को भेजी थी, जोकि अभी तक नहीं लौटी। हमारी मांग के बाद भी भेल प्रबंधन खाली पड़ी इमारतें दुरुस्त कराने में कोई रुचि नहीं दिखा रहा है। इससे भेल को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इन संपदा की कीमत लगभग 50 करोड़ रुपए है, जोकि बर्बाद हो रहा है।
ये इमारतें खाली पड़ी
– 20 साल से नटराज सिनेमा हॉल खाली पड़ा है। यहां सिर्फ दशहरा के समय रावण के पुतले बनते हैं।
– 8 साल से पिपलानी पेट्रोल पंप के पीछे होस्टल नंबर-1 के पास 3 बड़ी इमारतें खाली पड़ी है। इसमें से एक पुराना भेल कॉलेज, इग्नू को किराए में दी बिल्डिंग, बीएचई कोआपरेटिव सोसाइटी के बगल का भवन, एक शादी हाल शामिल है।
– आधे दर्जन अधिकारियों के खाली पड़े मकानों में प्रबंधन ने ताला डाल रखा है। इमारतों के साथ भेल के अधिकारियों के क्वार्टर भी खाली हैं। एन-4 टाइप के बड़े दो-तीन बंगले खाली हैं। इनमें भी ताला लगा है।
– बरखेड़ा विजय मार्केट के पीछे खाली पड़ा डॉ. राधाकृष्णन स्कूल का भवन। यह स्कूल करीब पांच साल पहले बंद कर दिया गया है।
छोड़ दिए लावारिस
इंटक, ऐबु, बीएमएस कई बार भेल प्रबंधन के अधिकारियों के साथ बैठक में खाली इमारतों की मरम्मत करा कर उन्हें किराए पर देने की मांग कर चुकी हैं। यूनियनों का मानना है कि प्रबंधन ने आवासों की तरह ही कार्यालयों के भवनों को भी लावारिस छोड़ दिया है।
वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की जाएगी
भेल की कई इमारतें खाली पड़ी हैं। जल्द ही इमारतों की मरम्मत के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। जो भी कार्यालय भवन, बंगले खाली हैं, उनका इस्तेमाल किया जाएगा।
– विनोदानंद झा, प्रवक्ता भेल