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लोगों के रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी है अफवाह

locationभोपालPublished: May 26, 2019 02:40:38 pm

Submitted by:

hitesh sharma

भारत भवन में मध्यप्रदेश रंगोत्सव में नाटक जिंदगी और जोंक का मंचन

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लोगों के रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी है अफवाह

भोपाल। भारत भवन में शनिवार को मध्यप्रदेश रंगोत्सव का आगाज किया गया। पहले दिन नाटक जिंदगी और जोंक का मंचन किया गया। अमरकांत द्वारा लिखित इस कहानी का प्रदर्शन पटकथा और नाट्य रूपांतरण राजेश जोशी ने किया, जबकि परिकल्पना और निर्देशन बंसी कौल का रहा। इस नाटक में रंगविदूषक भोपाल के 25 कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को आनंदित किया। इस कहानी में बताया गया है कि कैसे विषम परिस्थितियों में भी इंसान की जिजीविषा (जीने की इच्छा) उसे जीवित रखती है। कहानी में ये भी दर्शाया गया है कि कैसे अफवाह लोगों के रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी है। लोग बातों में अपनी कल्पना के बीज घुसाकर बिलकुल नए आयाम बना लेते हैं जो कभी-कभी सच से कोई वास्ता नहीं रखते हैं।

भिखारी पर शक कर मारते हैं लोग

इस कहानी में एक भिखारी मोहल्ले पर डेरा जमाता है। तभी एक घर में साड़ी चोरी होने की खबर मिलती है और अजनबी चेहरा होने के कारण लोग भिखारी पर शक करते हैं और उसे खूब मारते हैं। बाद में साड़ी घर पर ही मिल जाती है। इस वाक्ये के बाद लोगों के मन में भिखारी के प्रति सहानुभूति जग जाती है। उसका नामकरण भी किया जाता है और अब उसे लोग रजुआ पुकारने लगते हैं और साथ ही घर के छोटे मोटे काम भी कराने लगते हंै।
गांव में फैल जाता है हैजा

कहानी में रजुआ समय बदलते ढीठ हो जाता है और अब घर की महिलाओं से मजाक भी करने लगता है। इसी बीच गांव में हैजा फैल जाता है और रजुआ बीमार पड़ जाता है। एक लड़का खबर लेकर आता है कि रजुआ मर गया है, लेकिन बाद में रजुआ आकर बताता है कि उसके पैर पर कौआ बैठ गया था और इस डर से की वो मर जाएगा उसने ये बात फैलाई थी।
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