दरअसल,कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह पर ‘हिंदू आतंकवाद’ की थ्योरी गढ़ने का आरोप लगता रहा है, तो दूसरी तरफ उनके खिलाफ साध्वी प्रज्ञा ठाकुर हैं, जिन्हें ‘हिंदू आतंकवाद’ की थ्योरी का प्रतीक बनाया गया था. लेकिन नौ साल जेल में रहने के बाद साध्वी जिस तरह बाहर निकलीं, उससे साफ हो गया कि उन्हें फंसाया गया था, जैसा उनके समर्थक कहते हैं. हालांकि कोर्ट ने भी साफ कर दिया था कि जो उन पर आरोप लगो थे उसका कोई सबूत नहीं था.
‘पंक्चर थ्योरी’ को मुद्दा बनाएगी भाजपा साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जेल से बाहर आने के बाद ही साफ हो गया था भाजपा ‘हिंदू आतंकवाद’ को 2019 में चुनावी मुद्दा बनाएगी और भोपाल से साध्वी को दिग्विजय के खिलाफ उतारकर साफ संकेत भी दे दिया कि कुछ भी हो जिस थ्योरी को यूपीए की राज में हवा दी गई थी, उसी को अब मुद्दा बनाकर भोपाल में दिग्विजय सिंह को घेरा जाएगा.
पीएम मोदी ने एक रैली में उठाया था ‘हिंदू आतंकवाद’ का मुद्दा दरअसल, कुछ दिन पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र की एक रैली में ‘हिंदू आतंकवाद’का मुद्दा उठाया था. ये सभी जानते है ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द का नाता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर से जुड़ा रहा है. मालेगांव विस्फोट के बाद पहली बार दिग्विजय सिंह ने इस शब्द का प्रयोग किया था. माना जाता है कि दिग्विजय सिंह ने इस शब्द का प्रयोग साध्वी प्रज्ञा के लिए किया था. हालांकि साध्वी को 2018 में एनआईए कोर्ट ने उन्हें सबूतों के आभाव में बरी कर दिया था.
हिंदुत्व के नाम वोटों का ध्रुवीकरण चाहती है भाजापा ऐसे में अगर दिग्विजय सिंह गलती से इस बार के चुनाव में साध्वी के खिलाफ अपनी थ्योरी ‘हिंदू आतंकवाद’ को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश किया तो भाजपा खासकर साध्वी इस मुद्दे को हवा देने की कोशिश करेंंगी, ताकि वोटों का ध्रुवीकरण हो सके और चुनावी मैदान दिग्विजय को पटखनी दी जा सके.
भोपाल का जातीय समीकरण मुस्लिम- 4.5 लाख
ओबीसी- 4 लाख
ब्राह्मण- 3.75 लाख
क्षत्रिय- 1.20 लाख
एससी-एसटी- 1.90 लाख
ओबीसी- 4 लाख
ब्राह्मण- 3.75 लाख
क्षत्रिय- 1.20 लाख
एससी-एसटी- 1.90 लाख