गौरतलब है कि पर्यटन विकास निगम 16 दिसंबर को सैर सपाटा के लिए निजी एजेंसी तय करने जा रहा है। इसमें निर्माण, ऑपरेशन और मेंटेनेंस शामिल है। जानकारी के अनुसार ये निजीकरण तालाब किनारे एक रसूखदार को लाभ देने की मंशा से हो रहा है। सैर सपाटा निजी हाथों में जाएगा तो वह अपनी जमीन पर मैरिज गार्डन विकसित कर सैर सपाटा से रास्ता निकालेगा। सैर सपाटा से जुड़े लोगों को इसके निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के नाम उन्होंने यहां बैनर लगाकर निजीकरण नहीं करने की मांग भी लिखी है।
ऐसे समझे 30 साल में 25 करोड़ की आय का गणित
– यहां पांच बड़ी दुकानें हैं। प्रति दुकान का प्रतिमाह 40 हजार रुपए किराया तय है। एक साल में इनसे 4.80 लाख रुपए वसूले जाते हैं। ऐसे में ३० साल में 1.44 करोड़ रुपए आएंगे।
– यहां पांच बड़ी दुकानें हैं। प्रति दुकान का प्रतिमाह 40 हजार रुपए किराया तय है। एक साल में इनसे 4.80 लाख रुपए वसूले जाते हैं। ऐसे में ३० साल में 1.44 करोड़ रुपए आएंगे।
– यहां ग्लास हाउस बार का किराया 20 हजार रुपए प्रतिमाह है। एक साल का 2.40 लाख रुपए है। इससे 30 साल में 72 लाख रुपए की वसूली होगी।
– संचालित एक्टिविटीज से प्रतिमाह एक लाख रुपए की आय होती है। एक साल में 12 लाख रुपए और 30 साल में 3.60 करोड़ रुपए मिलेंगे।
– संचालित एक्टिविटीज से प्रतिमाह एक लाख रुपए की आय होती है। एक साल में 12 लाख रुपए और 30 साल में 3.60 करोड़ रुपए मिलेंगे।
– बंपर बोट के संचालन से 50 हजार रुपए प्रतिमाह आय। एक साल में 6 लाख रुपए और 30 साल में 1.80 करोड़ रुपए आएंगे।
– एंट्री फीस के तौर पर प्रतिमाह 3 लाख रुपए मिलते हैं। एक साल में 36 लाख रुपए और 30 साल में ये 10.80 करोड़ रुपए बन रहे हैं।
– एंट्री फीस के तौर पर प्रतिमाह 3 लाख रुपए मिलते हैं। एक साल में 36 लाख रुपए और 30 साल में ये 10.80 करोड़ रुपए बन रहे हैं।
– टॉय ट्रेन से एक माह में 1.50 लाख रुपए की आय होती है। एक साल में 18 लाख रुपए के हिसाब से 30 साल में 5.40 करोड़ रुपए बनेंगे। नोट- इसमें स्पीड बोट, फाउंटेन की राशि नहीं है। दोनों ही बंद है। इनके शुरू होने पर कमाई और बढ़ेगी।