मालेगांव निवासी 51 वर्षीय सलीम ने अपना पूरा जीवन ही मां नर्मदा को अर्पित कर दिया है। नर्मदा परिक्रमावासियों के साथ घूमते सलीम ने बताया कि 11 साल की उम्र में स्कूल जाते समय उनकी आंखों में धूल चली गई थी। आंखें मसलने से इनकी ज्योति चली गई। खूब उपचार कराया लेकिन कोई परिणाम नहीं मिला। 14 साल नेत्रहीनता के साथ बिताने के बाद एक दिन स्वामी जनार्दन गिरि के शिष्य उन्हें स्वामी शांतिगिरि महाराज के पास ले गए।

सुबह-शाम पूजापाठ, भजन-कीर्तन करते हैं और नमाज पढ़ने के साथ रोजा भी रखते हैं- 16 साल में यह उनकी चौथी नर्मदा यात्रा है। इसके पूर्व दो बार बाइक से और एक बार पैदल यात्रा कर चुके हैं। उन्होंने 21 नवंबर 2021 को ओंकारेश्वर से नर्मदा परिक्रमा यात्रा शुरू की थी। सलीम ने बताया कि परिक्रमा के दौरान वे नदी में स्नान के लिए साबुन उपयोग नहीं करते, कपड़े भी नदी में नहीं धोते। उनका एक ही उद्देश्य है नर्मदा नदी स्वच्छ और निर्मल रहे। सलीम पठान सुबह-शाम पूजापाठ, भजन-कीर्तन करते हैं और नमाज पढ़ने के साथ रोजा भी रखते हैं।