scriptपिछले 25 दिन में 35 से 42 रुपए घन फीट तक पहुंच गए रेत के रेट, मकान बनाना हुआ महंगा | sand | Patrika News

पिछले 25 दिन में 35 से 42 रुपए घन फीट तक पहुंच गए रेत के रेट, मकान बनाना हुआ महंगा

locationभोपालPublished: Jan 16, 2019 01:18:23 am

Submitted by:

Ram kailash napit

सेंड एसोसिएशन का आरोप-रॉयल्टी रसीद दिखाने के बाद भी डंपरों से हो अमला कर रहा वसूली

news

एनजीटी द्वारा सरपंच के खिलाफ वारंट जारी करने के बाद जागा खनिज विभाग

भोपाल.राजधानी में चल रहे निर्माण कार्यों की रफ्तार पिछले 25 दिनों से धीमी हो गई है। वजह है रेत के रेट 35 से बढ़कर 42 रुपए घन फीट तक पहुंच गए हैं। छह सौ घन फीट का डंपर 24 से 25 हजार का पड़ रहा है। इसके पीछे वजह बताई जा रही है रेत के डंपरों का पिपरिया, बरेली, बाडी घूमकर भोपाल आना। इसमें नादेड से भी एक शॉर्ट कट रास्ते से डंपर राजधानी आ रहे हैं, लेकिन यहां तक पहुंचते-पहुंचते उन्हें पुलिस, राजस्व, माइनिंग की जांच से गुजरना पड़ रहा है। इस स्थिति में रेत के रेट बढ़ा दिए हैं, आम आदमी के घर बनाने का सपना और महंगा होता जा रहा है।

होशंगबाद की खदानों से रेत निकलने के बाद बुदनी पुल से रेत सीधे भोपाल आती थी। पुल संधारण कार्य के चलते बंद कर दिया गया है। इस कारण रेत के डंपरों को ऊबड़-खाबड़ रास्ते से लाना पड़ रहा है। ऐसे में डीजल की खपत बढ़ गई है। ओवरलोडिंग भी कम हो गई है।

150 डंपर कम आ रहे : रही सही कसर पिपरिया पुलिस और राजस्व अमले ने पूरी कर रखी है। वे गाडिय़ों को जांच के नाम पर रोककर चार-चार घंटे उन्हें घेरे रहते हैं। इस कारण कम गाडिय़ां ही भोपाल आ रही हैं। रोजाना जहां 350 डंपर आते थे, वहां संख्या घटकर 200 डंपर रह गई। इस कारण रेत कारोबारियों ने रेत महंगी कर दी है।

पुरानी जमा रेत बेच रहे महंगे रेट में
शहर में होशंगाबाद रोड के बाद अयोध्या बायपास, कोलार और नीलबड़ में रेत स्टोर करने के बड़े अड्डे बन चुके हैं। जबकि अनुमति होशंगाबाद रोड पर सिर्फ सात जगह की जारी की गई है। बाकी अवैध अड्डों पर रेत के स्टॉक कर उन्हें महंगे रेट में बेचा जा रहा है। इस कारण कई लोगों ने काम की रफ्तार भी धीमी कर दी है। खनिज विभाग के पास रेत के स्टॉक को जांच कर कार्रवाई का अधिकार है, लेकिन विभाग जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है।
इस समय रेत के डंपरों में पिपरिया के पास जमकर वसूली की जा रही है। रॉयल्टी रसीद के बाद भी डंपरों को रोक कर खड़ा कर लिया जाता है। रेत का आवागमन भी कम हो गया है। बुधवार को हमारी बैठक है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
विजय सनोडिया, मीडिया प्रभारी, भोपाल सेंड एसोसिएशन
हम लोग रेत के अवैध ढेरों पर कार्रवाई करते हैं। कुछ दिन पहले ही दो प्रकरण बनाए हैं।
राजेंद्र सिंह परमार, जिला खनिज अधिकारी, भोपाल
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो