यह खुलासा एसटीएफ के हत्थे चढ़े चार दिन की पुलिस रिमांड पर चल रहे दो मीडिएटर तस्करों ने किया है। एसटीएफ ने दोनों तस्करों का शनिवार को जेल भेज दिया है। एसटीएफ एआईजी सुनील शिवहरे ने बताया कि दुर्लभ प्रजाति के दो मुंहे सांप सैंडबोआ उर्फ डीआई (डबल इंजिन) की तस्करी क्यों होती है? इसका इस्तेमाल कहां होता है?
अब एसटीएफ इन बिंदुओं की पड़ताल में जुट गई है। अब तक की पूछताछ में दोनों मीडिएटर दौलतराम लोधा और नरेश पटेल ने उक्त सांप खंडवा, नेमावर, देवास, खरगौन के आसपास खेतों में सपेरों से पकड़वाना और स्थानीय किसानों से खरीदना कबूला है। एसटीएफ को इस अवैध कारोबार के अंतिम छोर के आरोपियों के बारे में कुछ सुराग हाथ लगे हैं, जिनकी पड़ताल शुरू कर दी गई है।
पूछताछ में खुलासा, दो तस्करों के चैनल गिरोह पता चला
पीआर के दौरान दोनों मीडिएटर तस्करों ने बताया कि झाबुआ के आदिवासी क्षेत्र में कई बड़े तस्करों की सांठगांठ है। वे यहां के आदिवासियों से कम दाम में इसे खरीदकर महंगे दाम में बेच देते हैं। तस्करी का रैकेट सबसे ज्यादा मप्र, उप्र और हरियाणा से ऑपरेट किया जाता है।
धार-झाबुआ से तस्कर इन सांपों को उप्र या हरियाणा के रास्ते विदेशी तस्करों तक पहुंचाते हैं। इनकी बिक्री वजन के अनुसार पर होती है। दो किलो से ज्यादा वजनी सांप की कीमत तीन लाख रुपए तक हो सकती है। गिरफ्तार आरोपियों ने ऐसे ही एक दूसरे गिरोह के चार सदस्यों के नाम भी बताए हैं। ये गिरोह भी लंबे समय से सैंड बोआ की तस्करी कर रहा है। चार सदस्यीय में दो से तीन ऐसे चैनल हैं, तो सांपों की तस्करी के लिए एक-दूसरे से बड़े स्तर पर जुड़े हुए हैं।