भोपाल

संस्कृत बेस्ड नाटक हुआ मराठी में, श्लोकों पर गायन, कहानी और कविता के रूप में किए संवाद

अभिनयन में हुआ नाटक ‘स्वपनवासवदत्ता’ का प्रदर्शन
 

भोपालSep 22, 2018 / 09:55 am

hitesh sharma

संस्कृत बेस्ड नाटक हुआ मराठी में, श्लोकों पर गायन, कहानी और कविता के रूप में किए संवाद

भोपाल। जनजातीय संग्रहालय में अभिनयन शृंखला में शुक्रवार को नाटक ‘स्वपनवासवदत्ता’ का मंचन हुआ। नाटक की मूल कहानी संस्कृत में है। ग्रुप इसका मंचन मराठी में करता है। नाटक का निर्देशन अनघा देशपांडे ने किया है। 90 मिनट के इस नाटक में 20 कलाकारों ने ऑनस्टेज अभिनय किया है।

नाटक में लाइव म्यूजिकल का यूज किया गया। इस नाटक में संस्कृत के श्लोकों को भी शामिल किया गया, लेकिन इसे श्लोकों की तरह बोलने की बजाए गानें, कहानी और कविता के रूप में संवाद में शामिल किया गया। जो अपने आप में नया प्रयोग है। डायरेक्टर का कहना है कि नाटक की कहानी इस तरह की है कि गैर मराठी भाषी भी इसे आसानी से समझ सकता है। ये नाटक श्रंृगार और हास्य रस पर बेस्ड है।

6 अंक का है नाटक

यह नाटक महान संस्कृत कवि भास द्वारा रचित है। इसमें छ: अंक हैं। भास के नाटकों में यह सबसे उत्कृष्ट है। क्षेमेन्द्र के बृहत्कथामंजरी तथा सोमदेव के कथासरित्सागर पर आधारित यह नाटक समग्र संस्कृतवांमय के दृश्यकाव्यों में आदर्श कृति माना जाता है। भास विरचित रूपकों में यह सर्वश्रेष्ठ है। नाटक पूरी तरह से फोक और ट्रेडिशनल पर आधारित है। संस्कृत आधारित होने के कारण बहुत कम निर्देशक ही इसे कर पाते हैं। 2003 में भारगंम समारोह और 2018 में थिएटर ओलपिंक में भी इसका मंचन हो चुका है। ग्रुप इस नाटक के पांच शो कर चुका है।
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वियोग से पूर्नमिलन की कहानी है नाटक

इस नाटक के केंद्र में राजा उदयन और पत्नी स्वपनवासवदत्ता हैं। राजा उदयन अपनी पत्नी के वियोग में हैं, वह अपनी पत्नी को भूल नहीं पाते, जिस कारण राजा उदयन अपने राजधर्म को ठीक तरह से नहीं निभा पाते और उनके राज्य में कई तरह की अराजकताएं भी होने लगती हैं। राजा धीरे-धीरे सामान्य होते हैं और राज-काज संभालते हैं। जब सब सामान्य होता है तो पता चलता है कि रानी स्वपनवासवदत्ता के गुम होने या मृत्यु होने की बात मात्र झूठ थी। अंत में राजा उदयन, रानी को खोज लेते हैं और नाटक इस तरह एक सकारात्मक मोड़ पर खत्म होता है।
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