जानकारों की माने तो इस बार सपाक्स के मैदान में आने से कई नेताओं का विकेट गिरना तय है, वहीं इसके चलते चुनावी समीकरणों में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा के अनुसार एस्ट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के बाद अचानक तेजी से सुर्खियों में आई सपाक्स ने शुरू में तो तेजी से उंचाई पकड़ी, लेकिन के बाद कुछ मामलों को लेकर उसे कमजोर करने की कोशिश भी की गई थी। इस बीच पिछले चंद दिनों मे भाजपा, कांग्रेस,बसपा सहित आप पार्टियों द्वारा अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई।
पार्टी अब तक 72 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर चुकी थी, जिन्हें निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतारा जा रहा था। इन दोनों सूचियों में अब फेरबदल के कयास लगाए जा रहे हैं। पार्टी ने करीब एक दर्जन सीटों पर नाम बदलने की तैयारी शुरू भी कर दी है। इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के चेहरे देखते हुए बदलाव किया जाएगा। जबकि पार्टी की तीसरी सूची में चर्चित चेहरे नजर आ सकते हैं।
वहीं कुछ समय पहले ही अस्तित्व में आई सपाक्स पार्टी को आखिर राजनीतिक दल के रूप में मान्यता मिल गई है। चुनाव आयोग ने पिछले दिनों आदेश जारी कर दिया है। माना जा रहा है कि मान्यता मिलने के बाद पार्टी में फिर समीकरण बदलेंगे। पार्टी का दावा है कि अभी तक अपनी पार्टियों से नाराज वे नेता जो कन्नी काट रहे थे और सामाजिक संगठनों में रसूख रखने वाले पार्टी की ओर आकर्षित होंगे। वहीं सेवानिवृत्त अफसर भी उत्साह दिखाएंगे।
इससे पहले सपाक्स ने दावा किया था कि 21 अन्य पार्टियां उनके संपर्क में हैं और सभी के समझौते से चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं जानकारों का मानना है कि इस बार चुनाव में सपाक्स दोनों पार्टियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभर सकती है।