जिससे जनता को समझ आ जाए कि सपाक्स का क्या संदेश है वहीं चुनाव आयोग भी चाहकर सपाक्स के खिलाफ कोई जातिगत आधार पर चुनाव प्रचार करने का मामला नहीं बना सकता। सपाक्स जल्द ही नई रणनीति के तहत अब सामाजिक समरसता अभियान को चलाने के लिए नई विंग का गठन करने जा रहा है। राजनीतिक तौर पर सवर्ण को फोकस करने के साथ सामाजिक समरसता पर ही वोट मांगे जाएंगे।
दरअसल, मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने बीते दिनों साफ कहा था कि कोई भी दल जातिगत आधार पर चुनाव में वोट नहीं मांग पाएगा। इसके अलावा जातिगत वोट की नीति पर निगरानी के लिए चुनाव आयोग ने राजनीतिक सभाओं की वीडियोग्राफी कराने का एेलान भी किया है। सपाक्स समाज ने इसे दबाव की रणनीति माना है।
सपाक्स समाज ने पार्टी के रूप में चुनाव लडऩे का एेलान किया है। इस कारण समाक्स समाज पार्टी अब चुनाव में आयोग के इन निर्देशों का ध्यान रखकर उतरेगी। इसके तहत सवर्ण वोट बैंक को फोकस किया जाएगा, लेकिन किसी भी सभा में सवर्ण वोट बैंक के वोट मांगने की बजाए सामाजिक समरसता के नाम पर वोट मांगे जाएंगे।
इसके तहत सभी वर्गों के उत्थान का उद्देश्य रखा जाना है। इसे साकार करने के लिए दलित वर्ग प्रतिनिधित्व को भी संगठन में पूरा महत्व व जिम्मेदारियां दी जाएंगी।
पहली सभा में दिए थे संकेत
सपाक्स समाज ने ३० सितंबर को पहली राजनीतिक सभा में भी सामाजिक समरसता फार्मूले के संकेत दिए थे। तब, सपाक्स समाज संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी ने मंच पर दलित वर्ग के पूर्व विधायक धीरेंद्र धीरू का परिचय भी कराया था।
साथ ही अनुसूचित जाति-जनजाति व अल्पसंख्यक वर्ग के भी सपाक्स से जुडऩे का दावा किया था। उन्होंने सीधे तौर पर कहा था कि हम सामाजिक समरसता के पक्षधर हैं। उनका कहना है कि हम जातिगत भेदभाव के खिलाफ हैं। जो गरीब है, वो किसी भी वर्ग को हो उसे आरक्षण दिया जाना चाहिए।
पार्टी कार्यकर्ताओं को गाइडलाइन
सपाक्स समाज पार्टी ने पदाधिकारियों, नेताओं व कार्यकर्ताओं को सीधे तौर पर सामाजिक समरसता पर ही बात करने के लिए कहा है। इसमें आरक्षण के खिलाफ होने की बजाए सामान्य वर्ग के साथ होने वाले अन्याय को समाप्त करने की थीम रखने के लिए कहा गया है। इसमें आर्थिक आधार पर आरक्षण करने और वर्ग-भेद को खत्म करने पर ही फोकस होगा।