प्रदेश के आयुर्वेद डॉक्टर लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। सिंह ने कहा प्रदेश में इन आयुर्वेद डॉक्टरों की आवश्यकता है। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सौरभ मेहता ने बताया कि कार्यक्रम के तहत आयुर्वेद के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले छात्रों और चिकित्सकों को सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि न्यास और परिषद आयुर्वेद को प्रचारित करने और इस क्षेत्र में विशेष कार्य करने वालों को सम्मानित करते हैं।
कार्यक्रम में गैस राहत मंत्री विश्वास सारंग, राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला सहित प्रदेशभर से आए छात्र और चिकित्सक मौजूद रहे। संविदा डॉक्टरों के लिए सीटें होंगी रिजर्व :
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, जो आयुर्वेद डॉक्टर एनआरएचएम, एनएचएम , आरबीएसके व विभिन्न योजनाओं के तहत संविदा पर कार्यरत हैं, वे चिकित्सकीय कार्य तो ठीक से करते हैं, लेकिन सैद्धांतिक रूप से हाल ही में निकले आयुर्वेद -बीएएमएस डॉक्टरों से उनकी तुलना उचित नहीं। कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर इनके लिए इन्हीं 700 सीटों में रिजर्वेशन देंगे। प्रदेश में 18 आयुर्वेद कालेज हैं, जिनमें प्रतिवर्ष 1190 छात्र बीएएमएस की डिग्री लेकर निकल रहे हैं। प्रदेश में 8000 डॉक्टर रोजगार की तलाश में हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, जो आयुर्वेद डॉक्टर एनआरएचएम, एनएचएम , आरबीएसके व विभिन्न योजनाओं के तहत संविदा पर कार्यरत हैं, वे चिकित्सकीय कार्य तो ठीक से करते हैं, लेकिन सैद्धांतिक रूप से हाल ही में निकले आयुर्वेद -बीएएमएस डॉक्टरों से उनकी तुलना उचित नहीं। कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर इनके लिए इन्हीं 700 सीटों में रिजर्वेशन देंगे। प्रदेश में 18 आयुर्वेद कालेज हैं, जिनमें प्रतिवर्ष 1190 छात्र बीएएमएस की डिग्री लेकर निकल रहे हैं। प्रदेश में 8000 डॉक्टर रोजगार की तलाश में हैं।
इधर,लार्वा की जगह घरों में मतदाता खोज रहे मलेरिया कर्मी:-
डेंगू और चिकनगुनिया महामारी बनता जा रहा है। अब तक 600 से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। यही नहीं डेढ़ दर्जन मरीजों की जान भी जा चुकी है। इसके बावजूद सरकार को लोगों की सेहत से ज्यादा वोट की चिंता सता रही है। दरअसल जिला प्रशासन ने लार्वा सर्वे के काम में लगे आधे से ज्यादा मलेरिया कर्मचारियों को बीएलओ बना दिया।
डेंगू और चिकनगुनिया महामारी बनता जा रहा है। अब तक 600 से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। यही नहीं डेढ़ दर्जन मरीजों की जान भी जा चुकी है। इसके बावजूद सरकार को लोगों की सेहत से ज्यादा वोट की चिंता सता रही है। दरअसल जिला प्रशासन ने लार्वा सर्वे के काम में लगे आधे से ज्यादा मलेरिया कर्मचारियों को बीएलओ बना दिया।
अब यह कर्मचारी डेंगू लार्वा खोजने और उसे नष्ट करने की बजाए घर-घर जाकर नए मतदाता खोज रहे हैं। पहले से ही कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे मलेरिया विभाग के सामने डेंगू का सर्वे कराने का संकट खड़ा हो गया है। जबकि डेंगू और चिकनगुनिया कम होने की बजाय बढ़ रहा है।
डेंगू के 24 मरीज और मिले : रविवार को आई जांच रिपोर्ट में डेंगू के 24 नए मरीजों की पुष्टि की गई। अब तक शहर में डेंगू के 657 मरीज सामने आ चुके हैंं।
राजधानी में 10 से ज्यादा सेंसिटिव जोन-हाल ही में सीएमएचओ डॉ. सुधीर जैसानी ने शहर में डेंगू के लिहाज से सेंसिटिव जोन चिह्नि किए हैं। अरेरा कॉलोनी, माता मंदिर, टीटी नगर, साकेत नगर जैसे पॉश इलाके शामिल हैं। इन क्षेत्रों में जाकर लार्वा सर्वे करने और उसे नष्ट करने के लिए अधिक बल की जरूरत है।
मलेरिया कार्यालय का ये है हाल :
पद — जरूरत — मौजूद
सहायक मलेरिया अधिकारी — 1 — 0
मलेरिया इंस्पेक्टर — 14 — 4
सर्विलेंस इंस्पेक्टर — 14 — 0
एंटोमोलॉजिस्ट — 1 — 0
एंटी लार्वा प्रभारी — 1 — 0
फील्ड वर्कर — 450 — 75
पद — जरूरत — मौजूद
सहायक मलेरिया अधिकारी — 1 — 0
मलेरिया इंस्पेक्टर — 14 — 4
सर्विलेंस इंस्पेक्टर — 14 — 0
एंटोमोलॉजिस्ट — 1 — 0
एंटी लार्वा प्रभारी — 1 — 0
फील्ड वर्कर — 450 — 75