उन्होंने कहा कि जिन वजहों से उन्हें और गौर को राजनीति से बाहर करने की कोशिश की गई। ऐसा पार्टी का कोई क्राइटेरिया ही नहीं है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी स्वीकार किया था कि कोई केटेगरी नहीं बनाई गई। इसके आगे जो हुआ उसे अन्याय ही कहा जाएगा।
ऐसे में गौर को यदि कांग्रेस से भोपाल लोकसभा चुनाव लडऩे का ऑफर मिला है तो उन्हें लड़ लेना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 18 जनवरी को गौर के निवास पर गए थे, इस दौरान उन्होंने उन्हें कांग्रेस में शामिल होने और भोपाल से सांसद का चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि गौर ने इस मामले को उस समय सार्वजनिक नहीं किया। दोनों की मुलाकात को लेकर कांग्रेस—भाजपा सहित मीडिया में कई अटकलें लगती रहीं, लेकिन गौर चुप्पी साधे रहे। एक माह बाद गौर ने मीडिया में दिग्विजय सिंह से मुलाकात का राज खोलकर भाजपा में खलबली मचा दी है।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि गौर ने यह बयान सोची समझी रणनीति के तहत दिया है। इसके पहले भी उन्होंने विधानसभा टिकट कटने पर कांग्रेस से नजदीकी दिखाते हुए अपनी बहु कृष्णा गौर को टिकट दिलवा दिया था। अब गौर की नजर भोपाल से लोकसभा टिकट पर है, इसलिए उन्होंने कांग्रेस के प्रस्ताव की बात कहकर प्रेशर पॉलिटिक्स का सहारा लिया है।
खुद के लिए बोले, पार्टी कहेगी तो लड़ेंगे
खुद के लोकसभा चुनाव लडऩे के बारे में सरताज सिंह ने कहा कि अभी कोई मन नहीं बनाया है। अगर पार्टी कहेगी तो सोचेंगे। भोपाल और होशंगाबाद लोकसभा सीट पर उनकी और गौर की जुगलबंदी पर उन्होंने कहा कि अभी तो यह भविष्य के गर्भ में है। कुछ कहा नहीं जा सकता। मेरा स्पष्ट मानना है कि अन्याय को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।