scriptअगरिया में नहीं रातीबढ़ में शिफ्ट हो सकती हैं आरा मशीनें, व्यापारियों ने मांगा दो दिन का समय, पहले नई लोकेशन देखेंगे | Saw machines can be shifted to Ratibarh, not in Agria, traders asked | Patrika News

अगरिया में नहीं रातीबढ़ में शिफ्ट हो सकती हैं आरा मशीनें, व्यापारियों ने मांगा दो दिन का समय, पहले नई लोकेशन देखेंगे

locationभोपालPublished: Jun 05, 2023 11:18:07 pm

पुराने शहर स्थित कार्यालय में बैठक में शामिल हुए सौ से ज्यादा व्यापारी, लकड़ी कारोबारी

अगरिया में नहीं रातीबढ़ में शिफ्ट हो सकती हैं आरा मशीनें, व्यापारियों ने मांगा दो दिन का समय, पहले नई लोकेशन देखेंगे

अगरिया में नहीं रातीबढ़ में शिफ्ट हो सकती हैं आरा मशीनें, व्यापारियों ने मांगा दो दिन का समय, पहले नई लोकेशन देखेंगे,अगरिया में नहीं रातीबढ़ में शिफ्ट हो सकती हैं आरा मशीनें, व्यापारियों ने मांगा दो दिन का समय, पहले नई लोकेशन देखेंगे,अगरिया में नहीं रातीबढ़ में शिफ्ट हो सकती हैं आरा मशीनें, व्यापारियों ने मांगा दो दिन का समय, पहले नई लोकेशन देखेंगे

भोपाल. 1950 से पहले बसा टिंबर बाजार और 170 आरा मशीनों को अगरिया छापर की जगह रातीबड़ में शिफ्ट करने को लेकर व्यापारी, काराेबारियों की आपस में बैठक हुई। इसमें काफी व्यापारियों ने पहले जगह देखने की बात कही है। इसके लिए दो दिन का समय मांगा है। जगह देखने के बाद वे इस पर अपनी सहमति देंगे। इससे पहले अगरिया छापर में जहां फर्नीचर क्लस्टर तैयार किया जा रहा है। वहां पर इन्हें शिफ्ट किया जा रहा था, लेकिन दूरी ज्यादा और अव्यवस्थाएं होने के कारण वहां शिफ्टिंग पर बात नहीं बनी। बैठक पुराने शहर स्थित कार्यालय में हुई है।
पहले चांदपुर में इनकी शिफ्टिंग होनी थी, वहां कब्जे हो गए तो इनको अगरिया छापर में शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी। अब रातीबड़ में शिफ्ट करने की तैयारी है। चांदपुर में कई व्यापारियों ने जमीन के लिए रुपए जमा किए हैं। जिन व्यापारियों की राशि जमा है, उसे नई लोकेशन की शिफ्टिंग में समाहित किया जाएगा।
चार स्थानों पर 80 आरा मशीनें, कुछ औकाफ की जमीन पर
भारत टॉकीज, पुल बोगदा से आगे, रेलवे स्टेशन, बैरागढ़ और काजीकैंप में करीब 80 आरा मशीनें हैं। 30 मशीनें प्राइवेट जमीन पर हैं। 14 सरकारी, 28 आबादी और 11 आरा मशीनें औकाफ की जमीन पर हैं। पातरा पुल से भारत टॉकीज चौराहे तक आरा मशीनों को हटाने के बाद अंडरग्राउंड मेट्रो का काम शुरु किया जाएगा।
चिरा सागौन देश भर में जाता है
यहां बैतूल, हरदा, टिमरनी से सागौन के बड़े बड़े दरख्त आते हैं। जिसे यहां आरा मशीनों पर चीर कर देश भर में भेजा जाता है। यहां की सागौन का उपयोग फर्नीचर बनाने में ज्यादा किया जाता है। देश भर से कारोबारी भी यहां अच्छी क्वालिटी के सागौन की तलाश में आते हैं। एक माह में करीब 150 ट्रक अलग-अलग प्रकार की लकड़ी आती है। चिरा सागौन देश भर में सप्लाई होता है।

वर्जन

व्यापारियों की आपस में बैठक हुई है। जो लोग जमीन नहीं देख पाए थे, उन्होंने रातीबड़ में जमीन देखने की मांग की है। दो दिन का समय मांगा है। इसके बाद ही कुछ तय हाेगा।
बदरे आलम, अध्यक्ष, टिंबर एसोसिएशन

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