आरिफ नगर निवासी कुलसुम पिता अनीस खान (06) दूसरी कक्षा में पढ़ती थी। उसके पिता मैकेनिक हैं। गुरुवार दोपहर करीब 3.30 बजे वो अपनी मां से पांच रुपए लेकर दुकान पर कुरकुरे खरीदने गई थी।
दुकान से कुरकुरे लेकर वो घर जा रही थी इस दौरान जैसे ही वो तिराहे पर पहुंची डीआइजी बंगला की ओर से आ रही सागर पब्लिक स्कूल की बस ने बच्ची को रौंद दिया। इसमें बच्ची का सिर फट गया। बस की रफ्तार इतनी तेज थी कि बच्ची कंडक्टर साइड के पीछे के पहिए में जा फंसी। यह देख आस-पास के लोग दौड़े और बच्ची को पहिए से बाहर खींचा।
बच्ची को खींच कर बाहर निकाला। इस दौरान उसकी मौत हो गई। यह देख भीड़ काफी उग्र हो गई और बस में आग लगा दी। इस दौरान पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और भीड़ को शांत किया। इसके बाद पुलिस ने बच्ची का शव पीएम के लिए हमीदिया में भेज दिया। पीएम के बाद पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया।
हादसे से एक घंटे पहले ही पिता के साथ खाया था खाना
कुलसुम ग्लोरी स्कूल में कक्षा दूसरी में पढ़ती थी। दोपहर 12.30 बजे वो स्कूल से घर आई थी। इसके बाद ड्रेस चेंज की और करीब 1.30 बजे अपने पिता अनीस के साथ खाना खाया था। तीन बजे तक घर में ही अपनी छोटी बहन सुफिया के साथ खेलती रही।
इसके बाद उसने अपनी मां से कहा कि मुझे पांच रुपए दे दो। मुझे कुरकुरे खरीदना है। उसने कहा कि कुरकुरे लेकर वो दादी के घर जाएगी। घर से रुपए लेकर वो निकली और कुरकुरे खरीदकर वो वापस दादी के यहां जा रही थी इस दौरान बस ने उसे रौंद दिया और बच्ची की मौत हो गई।
सीने से बेटी को लगाकर मां बोली, मुझे छोड़कर मत जा
छह वर्षीय कुलसुम की उसकी मां के सामने ही मौत ले गई, लेकिन वह कुछ न कर सकी। रो-रो कर उनका यही कहना था कि मैंने बच्ची को अकेले क्यों जाने दिया। दरअसल घटना के समय मां नहा रही थी। वह बच्ची के शव को सीने से लगाकर चीखने-चिल्लाने लगी और कहा कि बेटी मुझे छोड़कर मत जा।
दादा हनीफ ने कहा कि अगर बस चालक गाड़ी को धीरे चला रहा होता तो बेटी आज जिंदा होती। वहीं स्थानीय लोगों का भी कहना था कि स्कूली बसें संकरी गलियों से भी तेज गति से गुजरती हैं। क्योंकि बच्चों को समय पर स्कूलों पर पहुंचाना पड़ता है। हालांकि घटना के समस बस में बच्चे नहीं थे।
किसी ने लगाई आग तो किसी ने बुझाई
हादसे के बाद लोग काफी उग्र हो गए थे। लोग बस पर पत्थर बरसा रहे थे और चीख पुकार मच गई थी। लोग बस को आग के हवाले कर चुके थे। हर तरफ से मारो-मारो की आवाज आ रही थी। इस दौरान मस्जिद में सो रहे इसरार की नींद खुल गई। वो जागकर बाहर आया तो देखा कि बस में आग लगी है। तत्काल वो अंदर गया और दौड़कर पाइप लेकर आया।
बाहर आकर उसने आग बुझानी शुरू कर दी। इसके बाद लोग भी उसके साथ हो गए और उन लोगों ने आग पर काबू पाया। एक घंटे बाद दमकल मौके पर पहुंची। भीड़ दमकल को भी आग लगाने जा रही थी लेकिन लोगों ने मामला शांत कराया।
आंखों के सामने ही बस की चपेट में आ गई मासूम
मेरा नाम सरवर जहां है। मैं गली नंबर 12 में रहती हूं। तिराहे पर आंगनवाड़ी है। वहां मैं किसी काम से गई थी। मैं खड़ी थी। इस दौरान बच्ची वहां से निकल रही थी। इसी बीच बस भी आ गई। मैं कुछ समझ पाती इस दौरान वो टायर के नीचे आ गई थी। मैं दौड़कर मौके पर पहुंची और बच्ची को खींचा। इसमे मैं भी जख्मी हो गई। इसके बाद भीड़ इक_ा हो गई और बस में कब आग लगा दी मुझे पता ही नहीं चल पाया। (जैसा कि पत्रिका को बताया )
पिता मैकेनिक हैं
कुलसुम के पिता मैकेनिक हैं। उनकी दो बेटी कुलसुम और सोफिया है। कुलसुम के पैर में 6 अंगुली थीं। इसका ऑपरेशन एक साल पहले हुआ था। दिसंबर में दूसरा ऑपरेशान होना था लेकिन इससे पहले ही उसकी मौत हो गई।
70 की स्पीड में थी बस
ड्राइवर की लापरवाही के कारण मासूम की मौत हुई है। बस में क्लीनर भी नहीं था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार चालक 70 की रफ्तार मे गाड़ी चला रहा था। हम लोग ये देख रहे हैं कि गाड़ी में स्पीड गर्वनर है या नहीं।
अगर नहीं होगा तो स्कूल प्रबंधक के खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाएगा। लोग काफी आक्रोशित थे। समय पर पुलिस नहीं पहुंचती तो और गाडिय़ों में ये लोग आग लगा चुके होते। आग लगाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
राजेश भदौरिया, एएसपी जोन-3
हम लोग सभी नार्मस को फॉलो कर रहे हैं
हादसा काफी दुखद है, ऐसा नहीं होना चाहिए था। हम पुलिस को पूरा सहयोग कर रहे हैं। ड्राइवर ने भी सरेंडर कर दिया है। बस में सीसीटीवी कैमरा, स्पीड गवर्नर लगा हुआ है। हम लोग शासन के सभी नॉर्म फॉलो कर रहे हैं।
– नितेश, मीडिया प्रभारी, सागर पब्लिक स्कूल घर जा रही मासूम को स्कूल बस ने रौंदा, गुस्साई भीड़ ने बस में लगाई आग