इन नियमों का करवाना है पालन
– वाहनों की खिड़कियों में 5 सेमी की दूरी रखनी होगी।
– खिड़कियों पर काले कांच या परदे नहीं लगाए जा सकेंगे।
– वाहन के दरवाजे ऑटो लॉक प्रणाली से लैस होंगे।
– वाहन में बच्चों के स्कूल बस्ते, बॉटल रखने के लिए अलग से जगह बनानी होगी।
– हर वाहन में २ से ५ किग्रा का फायर फाइटर सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा।
– ऑटो रिक्शा में कपड़े या रेगजीन की छत लगाकर स्कूल वाहन नहंी बनाया जा सकेगा।
– हेवी व्हीकल लायसेंस के अलावा ५ साल का अनुभव वाहन चालक के पास होना जरुरी होगा।
– दो बार से ज्यादा बार रेड लाइट जंप करने के मामले में परमिट तत्काल निलंबित कर दिया जाएगा।
– वाहन चालक की आयु २१ से कम और ६० वर्ष से ज्यादा नहीं हो सकती।
– यदि वाहन में केवल छात्राओं का परिवहन होता है तो महिला कंडक्टर का होना अनिवार्य रहेगा।
– स्कूल वैन के चालकों को हर साल अपने स्वास्थ्य का फिटनेस सार्टिफिकेट दिखाना होगा।
– छोटे बच्चों के लिए अलग से वैन एवं वाहन सहित स्टाफ की व्यवस्था करनी होगी।
– स्कूल बस के स्टाफ को निर्धारित यूनिफार्म नीली शर्ट-काली पेंट पहनकर ही वाहन चलाना होगा।
स्कूली वैन को पहले से ज्यादा सुरक्षित बनाने पॉलिसी लाई जा रही है। इसके तहत सभी निजी स्कूल प्रबंधनों की भी जिम्मेदारी तय होना है। समिति की बैठकें जल्द शुरू करवाई जाएंगी। – संजय तिवारी, आरटीओ