scriptसिग्नल सिस्टम नहीं, फंस जाते हैं स्कूल वाहन-एम्बुलेंस | School vehicle-ambulance gets stuck, not signal system | Patrika News

सिग्नल सिस्टम नहीं, फंस जाते हैं स्कूल वाहन-एम्बुलेंस

locationभोपालPublished: Dec 13, 2019 09:42:07 pm

Submitted by:

Rohit verma

कोलार रोड पर पीक ऑवर्स में निकलना मुश्किल, लोग हो रहे परेशान

सिग्नल सिस्टम नहीं, फंस जाते हैं स्कूल वाहन-एम्बुलेंस

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भोपाल. एक दशक से कोलार रोड पर ट्रैफिक की समस्या बढ़ती ही जा रही है। इसके बावजूद इसके सुधार के लिए नगर निगम और राजधानी की ट्रैफिक पुलिस अब तक कोई व्यवस्था नहीं कर सकी है। सुबह नौ बजे से साढ़े ग्यारह बजे तक और शाम को छह बजे से रात के आठ बजे तक पीक ऑवर्स में यहां से निकलना किसी मशक्कत से कम नहीं होता है।

सर्वधर्म पुल से लेकर मंदाकिनी चौराहे तक कोलार मेन रोड दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्र बन चुका है। यहां सबसे अधिक ट्रैफिक जाम होता है। पीक ऑवर्स में भोज यूनिवर्सिटी से सर्वधर्म, मंदाकिनी चौराहे तक जाम बना रहता है। इससे आगे बीमा कुंज तिराहा, अकबरपुर तिराहा, नयापुरा, ललिता नगर और संस्कार उपवन तक हालात खराब बने रहते हैं। ऐसे में इस मेन रोड पर कॉलोनियों को कनेक्ट करने वाले करीब एक दर्जन प्वाइंट डेंजर जोन बन गए हैं। यहां लगातार कॉलोनियां डवलप होने के साथ ही आबादी बढ़ती जा रही है।

ज्सादा लगता है समय, बढ़ रहा प्रदूषण: इस रोड पर ट्रैफिक की होने से दस मिनट का सफर तय करने में दो से तीन गुना समय लग जाता है। गेहूंखेड़ा से चूनाभट्टी नहर चौराहे तक करीब छह किमी तय करने में 10-15 मिनट लगता है। पीक ऑवर्स में यह दूरी 25 से 30 मिनट का समय ले लेती है।

कमर्शियल गतिविधियों का संचालन बड़ा कारण
कोलार रोड पर जाम का बड़ा कारण सड़क के दोनों ओर कमर्शियल गतिविधियों का संचालित होना है। यहां आने वाले लोग अपने वाहन सड़क पर ही खड़े कर देते हैं। सर्वे में सामने आया था कि 60 से अधिक बेसमेंट में व्यावसायिक गतिविधियां चलने से रोजाना 30 हजार से अधिक वाहन सड़क पर खड़े किए जाते हैं। इससे सड़कें संकरी होने से चलने तक की जगह नहीं बच पाती है। जानकारों की मानें तो पीक ऑवर्स में प्रति घंटा लगभग हजारों वाहन इस सड़क से गुजरते हैं। इसके अलावा ठेल और गुमठियों की इस रोड पर भरमार है, जो ट्रैफिक को प्रभावित करते हैं।

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