मंगलवार की रात करीब 7.15 बजे दो मामूली झटके महसूस किए गए। तब लोग समझ नहीं पाए। रात 7.44 बजे तेज झटका लगा तो लोग घरों से बाहर आ गए। भूकंप की तीव्रता को देखते हुए बनौली स्थित 132 केवीए की लाइन ट्रिप कर गई। हालांकि 15 मिनट बाद बिजली बहाल कर दी गई। एनटीपीसी से मिली जानकारी के अनुसार, भूकम्प के झटके से यूनिट नंबर 4 और 13 ट्रिप हो गई, जो देररात तक रिवाइव हो पाई। देर रात तक भूंकप की आशंका के चलते लोग घरों में वापस नहीं गए।
मध्यप्रदेश की धरती इससे पहले भी कई बार भूकंप के झटके झेल चुकी है। जबलपुर में भयंकर भूकंप आ चुका है। इसके अलावा भोपाल में भी भूकंप के आंशिक झटके कई बार लग चुके हैं। जबलपुर में 22 मई 1997 को आए भूकंप ने संस्कारधानी की सूरत ही बदल दी थी। 22 अक्टूबर 2014 को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, लेकिन 25 अप्रैल को 2015 को आए भूकंप ने एक बार फिर जबलपुर सहित पूरे प्रदेश को हिला दिया। ग्वालियर, भोपाल सहित इंदौर में भी इन झटकों को महसूस किया गया। इन तमाम घटनाओं और एक्सपर्ट्स की राय पर गौर करें तो यही समझ आता है कि हम एक बड़े खतरे के मुहाने पर खड़े हैं।
भूकंप को लेकर जारी हो चुकी है चेतावनी
दुनिया में जब भी भूकंप आता है तो भारत सरकार की चेतावनी से मध्यप्रदेश में भी चिंता बढ़ जाती है। कुछ माह पहले ही केंद्रीय गृहमंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग ने बड़ी चेतावनी देकर मध्यप्रदेश के लोगों को भी मुश्किल में डाल दिया था। चेतावनी में कहा गया था कि भारत में कहीं भी 8.2 का शक्तिशाली भूकंप आ सकता है, जो लाखों लोगों को बेघर कर देगा। इसका ज्यादा असर मध्यप्रदेश में भी पड़ सकता है, क्योंकि नर्मदा और ताप्ती नदी का क्षेत्र भूकंप से दहल सकता है।
इन वजहों से बढ़ीं हैं भूकंप की संभावनाएं
प्रदेश में धड़ल्ले से हो रहे अवैध उत्खनन, बेतरतीब और अनियंत्रित निर्माण बड़ी तबाही की वजह बन सकते हैं। 28 जिलों का बड़ा भू-भाग भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन चार में पहुंच चुका है। ऐसे में यदि कभी प्रदेश में केंद्रित भूकंप आता है तो इस भू-भाग को बड़ा नुकसान झेलना होगा। चिंता का कारण यह है कि पिछले तीन सालों में भूकंपों की आवृत्ति बढ़ी है।
यहां पर भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा
विभाग के अनुसार सर्वाधिक प्रभावितों में जबलपुर, खरगौन, इंदौर, खंडवा, धार, रायसेन, देवास, सीहोर, बैतूल, सीधी, शहडोल, नरसिंहपुर, दमोह, होशंगाबाद, बड़वानी, झाबुआ, उमरिया, छिंदवाड़ा, हरदा, बुरहानपुर, अनूपपुर, सागर, सिवनी, मंडला, डिंडोरी, कटनी, सिंगरौली और अलीराजपुर शामिल हैं।
भूकंप आए तो क्या करें
– भूकंप महसूस होते ही घरों से बाहर निकलकर खुले मैदान में पहुंच जाएं। बड़ी बिल्डिंग्स, पेड़ों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें।
– बाहर जाने के लिए लिफ्ट की बजाय सीढिय़ों का इस्तेमाल करें।
– कहीं फंस जाएं तो दौड़ें नहीं। इससे भूकंप का ज्यादा असर होगा।
– भूकंप आने पर खिड़की, अलमारी, पंखे, ऊपर रखे भारी सामान से दूर हट जाएं, ताकि इनके गिरने और शीशे टूटने से चोट न लगे।
– टेबल, बेड, डेस्क जैसे मजबूत फर्नीचर के नीचे घुस जाएं और उसके पांएं कसकर पकड़ लें, ताकि झटकों से वह खिसके नहीं।
– कोई मजबूत चीज न हो तो किसी मजबूत दीवार से सटकर शरीर के नाजुक हिस्से जैसे सिर, हाथ आदि को मोटी किताब या किसी मजबूत चीज से ढंककर घुटने के बल टेक लगाकर बैठ जाएं।
– खुलते-बंद होते दरवाजे के पास खड़े न हों, वरना चोट लग सकती है।
– गाड़ी में हैं तो बिल्डिंग, होर्डिंग्स, खंभों, फ्लाईओवर, पुल आदि से दूर सड़क के किनारे या खुले मैदान में गाड़ी रुकवा लें और भूकंप रुकने तक इंतजार करें।