scriptग्वालियर से चुनाव लड़ेंगे सिंधिया, गुना में अंदरुनी खींचतान | scindhiya will be fight gwalior loksabha | Patrika News

ग्वालियर से चुनाव लड़ेंगे सिंधिया, गुना में अंदरुनी खींचतान

locationभोपालPublished: Mar 14, 2019 07:24:10 pm

Submitted by:

harish divekar

दिग्विजय को भोपाल से उतारकर भाजपा को चुनौती देगी कांग्रेस
 

scindia

देश की सबसे दिलचस्प सीट : राजपरिवार की तीन पीढिय़ा 14 बार यहां से जीत चुकी है चुनाव,जानें इस सीट का इतिहास

ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ माने जाने वाले गुना—शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में इस बार अंदरुनी खींचतान जोरो पर है। मंत्री न बनने से नाराज कांग्रेस विधायक केपी सिंह ने सिंधिया का खुलकर विरोध करने की तैयारी कर रखी है। इसके अलावा क्षेत्र में सिंधिया की लोकप्रियता का ग्राफ भी तेजी से कम हुआ है। पार्टी के एक सर्वे में यह बात सामने आई है। अब तक सिंधिया गुना को सुरक्षित सीट मानते हुए तैयारी कर रहे थे। उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया ने गुना संसदीय क्षेत्र में जनसंपर्क करना भी शुरु कर दिया था। इसी बीच आई सर्वे रिपोर्ट ने सिंधिया को ग्वालियर से चुनाव लड़ने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है। हालांकि इसका अंतिम फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से चर्चा के बाद ही हो पाएगा।

इधर, राजगढ़ से दावेदारी कर रहे दिग्विजय सिंह को पार्टी भोपाल से चुनाव लड़ाना चाहती है। इसके पीछे मुख्य वजह है कि पार्टी मानती है कि राजगढ़ दिग्विजय सिंह का गढ़ है, ऐसे में उनका समर्थक भी वहां से चुनाव जीत सकता है, इस सीट पर प्रमुखता से नारायण सिंह आमलावे का नाम बताया जा रहा है।
पार्टी का मानना है कि दिग्विजय सिंह भोपाल से चुनाव लड़ते हैं तो ये भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। हालांकि इसका अंतिम फैसला दिल्ली दरबार से ही होगा।

ग्वालियर में आज भी सिंधया राजघराने का प्रभाव

ग्वालियर में आज भी सिंधिया राजघराने का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है। सिंधिया यहां से चुनाव लड़कर इसका फायदा उठाना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपना मन बनाया है।

सबसे पहले राजमाता विजयाराजे सिंधिया 1962 में जनसंघ से चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं, उनके बाद 1984 में माधवराव सिंधिया ने अटल बिहारी वाजपेयी को मात दी थी। 1991, 1996 में भी माधवराव सिंधिया कांग्रेस से जीते थे। इसके बाद माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर मध्यप्रदेश विकास कांग्रेस बनाकर 1998 में चुनाव लड़ा था और जीते थे। वर्ष 2007 एवं 2009 में हुए चुनाव में भाजपा ने यशोधरा राजे को मैदान में उतारा तो, वह भी जीतने में कामयाब रही थीं। कांग्रेस की तरफ से अगर सिंधिया परिवार को छोड़कर देखा जाएं तो, 16 बार हुए चुनाव में सिर्फ दो बार अन्य प्रत्याशी जीत सके हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो