ज्योतिरादित्य के करीबी
उपचुनाव में तीन मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था। इमरती देवी और गिर्राज दंडौतिया सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। सूत्रों का कहना है कि सिंधिया का अप्रत्यक्ष दबाव इनके पुनर्वास पर है। इसके अलावा कांग्रेस सरकार गिराने में तीनों की अहम भूमिका भी थी।
उपचुनाव में तीन मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था। इमरती देवी और गिर्राज दंडौतिया सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। सूत्रों का कहना है कि सिंधिया का अप्रत्यक्ष दबाव इनके पुनर्वास पर है। इसके अलावा कांग्रेस सरकार गिराने में तीनों की अहम भूमिका भी थी।
फिर शपथ ले सकते हैं गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट
वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के शपथ पर सहमति बन गई है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि अभी शिवराज कैबिनेट का विस्तार नहीं होगा। बता दें कि उपचुनाव से पहले दोनों नेताओं को संवैधानिक बाध्यता के कारण अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था । अब उपचुनाव में दोनों नेताओं की जीत हुई है।
वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के शपथ पर सहमति बन गई है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि अभी शिवराज कैबिनेट का विस्तार नहीं होगा। बता दें कि उपचुनाव से पहले दोनों नेताओं को संवैधानिक बाध्यता के कारण अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था । अब उपचुनाव में दोनों नेताओं की जीत हुई है।
वजह यह भी
सिंधिया समर्थक कुछ नेता चुनाव भले ही हार गए, लेकिन उनको भाजपा सरकार में सत्ता का सुख जरूर मिलने की संभावना है। इसके पीछे कारण यह है कि इन्ही नेताओं के कारण प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिराई जा सकी थी। सूत्रों का कहना है कि सिंधिया समर्थक कुछ नेताओं को निमग मंडल को कुछ को संगठन में भी जिम्मेदारी दी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि मुन्नालाल गोयल एवं इमरती देवी ने अपनी बात संगठन एवं सिंधिया के समक्ष रखी। अपने समर्थकों को सत्ता में भागीदारी दिलाने के लिए सिंधिया भी जोर लगा सकते हैं।
सिंधिया समर्थक कुछ नेता चुनाव भले ही हार गए, लेकिन उनको भाजपा सरकार में सत्ता का सुख जरूर मिलने की संभावना है। इसके पीछे कारण यह है कि इन्ही नेताओं के कारण प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिराई जा सकी थी। सूत्रों का कहना है कि सिंधिया समर्थक कुछ नेताओं को निमग मंडल को कुछ को संगठन में भी जिम्मेदारी दी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि मुन्नालाल गोयल एवं इमरती देवी ने अपनी बात संगठन एवं सिंधिया के समक्ष रखी। अपने समर्थकों को सत्ता में भागीदारी दिलाने के लिए सिंधिया भी जोर लगा सकते हैं।