ओडिशा सरकार अभी तक यह अनुमति नही ले पाई है। जबकि एनटीसीए की टेक्निकल कमेटी ने मप्र से ०६ बाघों को सतकोशिया टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने की अनुमति प्रदान कर दी है। इस अनुमति के बिना बाघों को मप्र से ओडिशा नही शिफ्ट किया जा सकता।
बता दें ओडिशा के अनुगुल जिला के सतकोसिया टाइगर रिजर्व को बाघों से आबाद करने के लिए ०६ बाघों को मप्र से भेजा जाना है। जनवरी २०१८ में इसके लिए एनटीसीए की तकनीकी कमेटी ने अनुमति प्रदान कर दी थी। इसके बाद मप्र के वन विभाग ने भी मार्च महीने में ओडिशा सरकार को बाघ देने की स्वीकृति प्रदान कर दी, लेकिन अभी तक ओडिशा का वन विभाग उक्त अनुमति नही ले पाया। इस संबंध में एनटीसीए ने ११ मई को एक पत्र चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ओडिशा को पत्र लिखा है। मप्र से तीन नर और तीन मादा बाघ सतकोशिया भेजे जाने हैं।
963 वर्ग किमी के टाइगर रिजर्व में बचे हैं दो बूढे़ बाघ–
बता दें ९६३ वर्ग किमी के सतकोसिया टाइगर रिजर्व में फि लहाल दो टाइगर हैं। इन दोनो बाघों की उम्र भी लगभग १३-13 वर्ष है। एेसे में दोनो बाघों की प्रजनन क्षमता भी समाप्त हो चुकी है। एनटीसीए की 2010 की रिपोर्ट के अनुसार सतकोसिया में आठ थे। फिलहाल यहां इनकी संख्या अभी दो बताई जा रही है।
बता दें ९६३ वर्ग किमी के सतकोसिया टाइगर रिजर्व में फि लहाल दो टाइगर हैं। इन दोनो बाघों की उम्र भी लगभग १३-13 वर्ष है। एेसे में दोनो बाघों की प्रजनन क्षमता भी समाप्त हो चुकी है। एनटीसीए की 2010 की रिपोर्ट के अनुसार सतकोसिया में आठ थे। फिलहाल यहां इनकी संख्या अभी दो बताई जा रही है।
बांधवगढ़ से है कनेक्शन, एक-एक कर भेजे जाएंगे बाघ
मप्र प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार सतकोशिया के बाघों का कुछ कनेक्शन बांधवगढ़ से भी है। एेसे में ओडिशा सरकार ने बाघों के लिए मप्र को चुना है। हालांकि जानकारों की माने तो बाघों को ट्रांसलोकेशन एक जटिल प्रक्रिया है। सभी बाघ एक साथ नही भेजे जाएंगे। एक-एक बाघ को समयांतराल से भेजा जाएगा। सभी बाघों को शिफ्ट करने में दो से तीन साल का समय भी लग सकता है।
मप्र प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार सतकोशिया के बाघों का कुछ कनेक्शन बांधवगढ़ से भी है। एेसे में ओडिशा सरकार ने बाघों के लिए मप्र को चुना है। हालांकि जानकारों की माने तो बाघों को ट्रांसलोकेशन एक जटिल प्रक्रिया है। सभी बाघ एक साथ नही भेजे जाएंगे। एक-एक बाघ को समयांतराल से भेजा जाएगा। सभी बाघों को शिफ्ट करने में दो से तीन साल का समय भी लग सकता है।
बाघों को पकडऩे के लिए अभी हमें भारत सरकार से अनुमति नही मिली है। जब तक अनुमति नही मिल जाती हम बाघ शिफ्ट नही कर सकते। एनटीसीए ने भी चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को इसके लिए पत्र लिखा है।
आरपी सिंह, एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ भोपाल