देश में वंचित वर्ग के खिलाफ अगर कोई अपराध करता है, तो उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, लेकिन निरपराध को अगर सजा मिलती है, तो निर्दोष नागरिक का आक्रोश सडक़ से संसद तक देखा जाएगा। हम किसी विशेष वर्ग के खिलाफ नहीं है। हमारी मांग है कि एट्रोसिटी एक्ट दोषरहित हो।
एससी/एसटी एट्रोसिटी एक्ट का विरोध
इसके पहले शुक्रवार को राजपुत समाज ने मुंह पर काला कपड़ा बांधकर एससी/एसटी एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में प्रदर्शन किया था। प्रेसवार्ता में विरोध स्वरूप वे अपने चेहरे पर काला कपड़ा और गले में काली रिबन बांधकर उपस्थित हुए थे। राजपूत समाज का कहना है कि इस एक्ट में पीडि़त व्यक्ति अगर किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाता है, जो एससी, एसटी वर्ग को छोडक़र अन्य किसी वर्ग से हो तो उसकी तुरंत गिरफ्तारी की जाएगी, साथ ही एक्ट के तहत अग्रिम जमानत का प्रावधान भी समाप्त कर दिया गया है।
भारत की अखंडता को खतरा
इस बिल से समाज में वैमनस्यता और असंतोष पैदा हो रहा है। आगे चलकर भारत की अखंडता को भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा और आम नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन होगा। देश में हमरे वर्ग को अपने मौलिक अधिकारों के तहत जीने का पूरा हक है।
हमारी कें द्र सरकार से यहीं मांग है कि एट्रोसिटी एक्ट में जोड़ी गई धाराओं को हटाया जाए और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जो व्यवस्था दी गई थी, उसका पालन किया जाए। अगर ऐसा नहीं होता तो हम प्रजातांत्रिक तरीके से इसका विरोध करेंगे और दिल्ली तक जाएंगे। इस मौके पर अनेक महिला संगठनों की पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने की मांग
सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था (सपाक्स) के प्रतिनिधि मंडल ने गुरुवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात कर पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने और सुप्रीम कोर्ट में सरकार की अपील वापस लेने की मांग की।
साथ ही ओबीसी और सामान्य वर्ग के खाली पदों पर भर्ती, अजा-जजा अत्याचार निवारण अधिनियम में बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति किसी को गिरफ्तार न करने के साथ सपाक्स को मान्यता देने की मांग की गई और अतिथि विद्वान और सहायक प्राध्यापकों की समस्याओं से भी अवगत कराया। जिस पर मुख्यमंत्री ने समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया।