इस दौरान कर्मचारियों ने अवकाश लेकर काम नहीं किया, इससे राजधानी और जिलों में अपने काम लेकर पहुंचे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
सूत्रों के मुताबिक आंदोलन कर रहे कर्मचारियों के दफ्तर न पहुंचने के चलते काफी देर तक कुछ दफ्तरों के तो ताले भी नहीं खुले। ऐसे में यहां कक्षों की लाइट तक नहीं जलाई गई।
इस दौरान कार्यालय आए अधिकारी खुद ही पानी पीने व फाइलें निपटाने का काम करते देखे गए। लिपिकों की गैरमौजूदगी के चलते अधिकारी भी दफ्तर पहुंचने वाले लोगों का काम नहीं कर सके।
कर्मचारियों का कहना है कि उनके द्वारा कई सालों से किए जा रहे आंदोलन के बाद भी सरकार अनदेखा कर रही है। सिर्फ आश्वासन दिए जाते हैं। सरकार से मांग है कि लिपिकों का ग्रेड पे 2400 रुपए किया जाए। रमेशचंद्र समिति की 23 अनुशंसाएं लागू की जाएं। लोक निर्माण, जल संसाधन, पीएचई, वन विभाग के लिपिकों को बिना शर्त समयमान वेतनमान दिया जाए।
अर्न लीव 240 दिन से बढ़ाकर 300 दिन किया जाए। पेंशनरों को सातवें वेतनमान और महंगाई भत्ते का लाभ मिले। नई पेंशन योजना बंद कर पुरानी को लागू किया जाए। संविदा कर्मचारियों को नियमितिकरण हो और मंत्रालय के अनुभाग अधिकारी और निज सचिव का वेतनमान पुनरीक्षित किया जाए। अनाज एवं त्यौहार अग्रिम देने के साथ सरकार तिलहन संघ के कर्मचारियों को पे प्रोटेक्शन का लाभ दे।
राजस्व कर्मचारियों और तृतीय वर्ग कर्मचारियों के अवकाश पर होने से तहसील में काफी दिक्कत हुई। भोपाल ही नहीं ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर और रीवा संभाग में भी नामांतरण, सीमांकन और बंटवारे के लिए आवेदन लेकर पहुंचे शहरी व ग्रामीण लोग परेशान होते देखे गए।