दरअसल, मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता अभी दो चीजों को लेकर अपनी दावेदारी जता रहे हैं। एक राज्यसभा जाने के लिए और दूसरा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए। राज्यसभा के प्रबल दावेदारों की सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह का नाम है। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी ज्योतिरादित्य सिंधिया दावेदार हैं। उनके समर्थक जोर शोर से यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी जाए।
सीक्रेट मीटिंग
मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार के एक साल हो गए हैं। इन एक सालों में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच मुलाकात हुई, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच मुलकात हुई लेकिन कभी भी ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच मुलाकात नहीं हुई। एक साल बाद गुना के सर्किट हाउस में दोनों के बीच सीक्रेट मीटिंग होने वाली है। ऐसे में सबके मन में यहीं सवाल है कि आखिरी इस सीक्रेट मीटिंग बात किस मुद्दे पर होगी।
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दो बातों की है चर्चा
सिंधिया और दिग्विजय की मुलाकात पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। आखिरी बात किस मुद्दे पर होगी। ऐसे में अभी से कुछ संभावित बातें सामने आने लगी हैं। जिस पर दोनों के बीच बात हो सकती है। दरअसल, मध्यप्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटें अप्रैल में खाली हो रही हैं। दो कांग्रेस के खाते में जा सकती है। एक सीट दिग्विजय सिंह की है। सूत्र बताते हैं कि मध्यप्रदेश से कांग्रेस इस बार चाहती है कि एक सीट पर प्रदेश के बाहरी किसी व्यक्ति को राज्यसभा भेजें। इसके लिए प्रियंका गांधी का नाम भी उछला है।
दो बातों की है चर्चा
सिंधिया और दिग्विजय की मुलाकात पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। आखिरी बात किस मुद्दे पर होगी। ऐसे में अभी से कुछ संभावित बातें सामने आने लगी हैं। जिस पर दोनों के बीच बात हो सकती है। दरअसल, मध्यप्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटें अप्रैल में खाली हो रही हैं। दो कांग्रेस के खाते में जा सकती है। एक सीट दिग्विजय सिंह की है। सूत्र बताते हैं कि मध्यप्रदेश से कांग्रेस इस बार चाहती है कि एक सीट पर प्रदेश के बाहरी किसी व्यक्ति को राज्यसभा भेजें। इसके लिए प्रियंका गांधी का नाम भी उछला है।
बाहरी कोई व्यक्ति अगर एमपी से राज्यसभा जाता है तो एक सीट के लिए दो दावेदार होंगे। इस रेस में सिंधिया और दिग्विजय सिंह के नाम की चर्चा है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सीक्रेटी मीटिंग में दोनों इस मसले पर बात कर बीच का कोई रास्ता निकाल सकते हैं। दूसरी चर्चा प्रदेश अध्यक्ष को लेकर हो सकती है। क्योंकि प्रदेश में जल्द ही नए पीसीसी चीफ की नियुक्ति होनी वाली है।
सीक्रेट मीटिंग में क्या हो सकती है डील
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक यह चाहते हैं कि महाराज राज्यसभा भी जाएं और प्रदेश में संगठन की कमान भी उनके हाथों में हो। मगर यह इतना आसान भी नहीं है। वहीं दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि वह फिर से राज्यसभा जाएं। भले ही उनके पास सरकार और संगठन में कोई पद नहीं हो लेकिन संगठन में सबसे ज्यादा पकड़ दिग्विजय सिंह की है। ऐसे में यह चर्चा जोरों पर है कि दोनों के बीच अगर राज्यसभा और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर बात होती है। दोनों आपस में ये डील कर सकते हैं कि एक राज्यसभा चले जाएं और एक प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी ले लें। अगर इस पर सहमति बनती है तो फिर दोनों इस फॉर्मूले पर आगे काम शुरू करेंगे।
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक यह चाहते हैं कि महाराज राज्यसभा भी जाएं और प्रदेश में संगठन की कमान भी उनके हाथों में हो। मगर यह इतना आसान भी नहीं है। वहीं दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि वह फिर से राज्यसभा जाएं। भले ही उनके पास सरकार और संगठन में कोई पद नहीं हो लेकिन संगठन में सबसे ज्यादा पकड़ दिग्विजय सिंह की है। ऐसे में यह चर्चा जोरों पर है कि दोनों के बीच अगर राज्यसभा और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर बात होती है। दोनों आपस में ये डील कर सकते हैं कि एक राज्यसभा चले जाएं और एक प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी ले लें। अगर इस पर सहमति बनती है तो फिर दोनों इस फॉर्मूले पर आगे काम शुरू करेंगे।
दोनों क्यों आ रहे साथ
मध्यप्रदेश कांग्रेस की राजनीति में ज्योदिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह विपरीत ध्रुव के नेता माने जाते हैं। दोनों इस बार लोकसभा चुनाव में हार गए हैं। राजनीतिक मंचों को छोड़ दें तो दोनों कभी एक-दूसरे के साथ नहीं आए। विधानसभा चुनाव के दौरान जरूर ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह से मिलने उनके घर गए थे। मगर बदले हालात में शायद दोनों को एक-साथ आने के लिए मजबूर कर दिया हो। हाल ही में जब सिंधिया ने कमलनाथ सरकार पर सवाल उठाए थे तो दिग्विजय सिंह ने उनका साथ दिया था। ऐसे में चर्चा है कि दोनों साथ आकर आगे की राजनीति के लिए एक नया प्रारूप तैयार कर सकते हैं।
मध्यप्रदेश कांग्रेस की राजनीति में ज्योदिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह विपरीत ध्रुव के नेता माने जाते हैं। दोनों इस बार लोकसभा चुनाव में हार गए हैं। राजनीतिक मंचों को छोड़ दें तो दोनों कभी एक-दूसरे के साथ नहीं आए। विधानसभा चुनाव के दौरान जरूर ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह से मिलने उनके घर गए थे। मगर बदले हालात में शायद दोनों को एक-साथ आने के लिए मजबूर कर दिया हो। हाल ही में जब सिंधिया ने कमलनाथ सरकार पर सवाल उठाए थे तो दिग्विजय सिंह ने उनका साथ दिया था। ऐसे में चर्चा है कि दोनों साथ आकर आगे की राजनीति के लिए एक नया प्रारूप तैयार कर सकते हैं।
दोनों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
इसके साथ ही सीएम कमलनाथ चाहते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर ऐसा व्यक्ति काबिज हो, जो सरकार और संगठन में तालमेल बनाकर चले। उस खांचे में सिंधिया फिट नहीं बैठते हैं। सीएम गुट के लोगों ने बीच में कई नामों को आगे बढ़ाया भी था। विवाद की वजह से आलाकमान ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। वहीं, चर्चा यह भी है कि राज्यसभा के लिए कमलनाथ भी कोई अपनी पसंद थोप सकते हैं। अगर ऐसे होता है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कौन सी सीटें हो रही हैं खाली
मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं। 3 सीटों का कार्यकाल 2020 में पूरा हो रहा है। जिन सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, भाजपा के प्रभात झा और पूर्व मंत्री सत्य नारायण जाटिया का है। भाजपा के खाते में एक और कांग्रेस के खाते में एक सीट जाएगी लेकिन तीसरी सीट को लेकर पेंच फंस सकता है। जहां भाजपा को मुश्किलों का सामना कर पड़ सकता है जबकि कांग्रेस के पास संख्या बल है।
मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं। 3 सीटों का कार्यकाल 2020 में पूरा हो रहा है। जिन सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, भाजपा के प्रभात झा और पूर्व मंत्री सत्य नारायण जाटिया का है। भाजपा के खाते में एक और कांग्रेस के खाते में एक सीट जाएगी लेकिन तीसरी सीट को लेकर पेंच फंस सकता है। जहां भाजपा को मुश्किलों का सामना कर पड़ सकता है जबकि कांग्रेस के पास संख्या बल है।