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यहां सफाई स्वप्रेरित: निगम के कर्मचारियों के साथ ही कई रहवासियों के अंदर भी काफी उत्साह

locationभोपालPublished: Dec 07, 2019 07:40:23 pm

– सप्ताह में दो दिन रहवासी मिलकर साफ करते हैं कॉमन एरिया, निगम में काम, लेकिन उत्साह जैसे घर की सफाई में लगे हो
 

स्वच्छ भारत

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भोपाल. राजधानी को साफ सफाई के मामले में सबसे अच्छा बनाने का उत्साह कई रहवासियों के साथ निगम के ही कर्मचारियों के अंदर भी काफी है। पत्रिका ने जब पड़ताल की तो पाया, इनकी सफाई स्वप्रेरित है। ये अपनी मर्जी से सफाई को मुहिम लेकर चल रहे हैं। इससे सफाई को लेकर इनकी छवि तो बेहतर हो ही रही है, स्वच्छता अभियान में भी ये जाने-अंजाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
रहवासी जिनके लिए सफाई सतत प्रक्रिया
1. होशंगाबाद रोड किनारे डिवाइन सिटी में शनिवार और रविवार को पहुंचेंगे तो लोग आराम करते हुए या फिर छुट्टी के दिन निजी काम में लगे हुए नहीं मिलेंगे। अध्यक्ष बॉबी वर्मा के साथ ये मल्टी के कॉमन एरिया की सफाई करते हुए नजर आएंगे। 450 फ्लैट की कॉलोनी में लोग पार्क से लेकर रास्ते, पाकिंग और कॉमन एरिया के दरवारे, खिड़कियों की सफाई की जाती है। इतना ही नहीं, सफाई से निकलने वाले कचरा निष्पादन के लिए ये निगम के भरोसे नहीं है। खुद की कंपोस्ट यूनिट लगा रखी है, जिसमें कचरे से खाद बना ली जाती है।
2. बाग मुगालिया एक्सटेंशन में बीते कई सालों से सफाई खासकर पॉलीथिन के खिलाफ एक लंबी लड़ाई चल रही है। समिति के अध्यक्ष उमाशंकर तिवारी इसका नेतृत्व करते हैं और रविवार को कॉलोनी के लोगों के साथ अपने पूरे क्षेत्र में सार्वजनिक जगह पर बिखरी पॉलीथिन की पन्नियों को एकत्रित कर इन्हें निगम के वाहन के सुपूर्द करते हैं। स्वच्छता अभियान की घोषणा के पहले से ही ये मुहिम लगातार की जा रही है। खुद भी वे प्लास्टिक उपयोग के खिलाफ दृढ़ता से खड़े हुए हैं।
3. मिसरोद से लगी श्रीराम कॉलोनी को शहर की पहली ऐसी कॉलोनी बनने का श्रेय है जहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है। डेढ़ साल पहले तब इस कॉलोनी के सामने सीवेज निकासी की दिक्कत हुई तो रहवासियों ने अध्यक्ष सुनील उपाध्याय के साथ मिलकर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बना दिया। पूरा सीवेज ट्रीट होता है। ट्रीटमेंट के बाद बचा हुआ पानी कॉलोनी के ही पार्क में पौधों के लिए काम ले लिया जाता है। यानि यहां का सीवेज कहीं निस्तार नहीं होता। इससे खाद भी निकलती है, जिससे ये कई बार मिसरोद के किसानों को भी दे देते हैं।
( नोट- ये तो महज तीन उदाहरण है। शहर में इस तरह की स्वप्रेरित सफाई की कई कहानियां है। )

निगम की नौकरी, लेकिन काम घर जैसा : जोन के प्रभारी, लेकिन गंदगी करने वालों को सबक सिखाने में सबसे आगे
– जोन क्रमांक दस के प्रभारी बलवीर मलिक अपने जोन में राजस्व वसूली और अन्य व्यवस्थाओं को तो देखते ही है, लेकिन सुबह छह बजे आपको जोन में ही सफाई की स्थिति देखने के लिए भ्रमण करते हुए मिल जाएंगे। भोपाल रेलवे स्टेशन के आसपास गंदगी करने वाले स्टॉल-दुकानों का मामला हो या फिर मल्टी की तीन से चार मंजिला ऊंची इमारतों से कचरा फेंकने वाले रहवासी। सबको सबक सिखाया है और क्षेत्र के एएचओ से अधिक मुस्तैदी से कार्रवाई कर सफाई दुरूस्त कर रहे हैं।
– नगर निगम के जोन नंबर एक के सहायक स्वास्थ्य अधिकारी रविकांत औदित्य ही एकमात्र ऐसे एएचओ हैं, जो लंबे समय से बने हुए हैं। बैरागढ़ में बीते सालों में साफ सफाई मामले में इनकी कार्रवाई निगम में अन्य को बताकर प्रोत्साहित किया जाता है। रेलवे ट्रैक के पास से लेकर मुख्य बाजार, चौराहों पर गंदगी करने वालों पर फाइन करने में अव्वल है। रहवासियों को साथ लेकर पूरे जोन में सफाई को एक अभियान बना दिया है।
– जोन नंबर 16 के सहायक स्वास्थ्य अधिकारी दिनेश पाल को निगम अफसर 14 घंटे की नौकरी करने वाला व्यक्ति मानते हैं। गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में जिस तरह बल्क जनरेटर्स द्वारा की जाने वाली गंदगी पर कार्रवाई की है और यहां पॉलीथिन के उपयोग को प्रतिबंधित करने की कोशिश की, उससे इन्हें पॉलीथिन जब्ती दल में भी शामिल किया हुआ है।
– जोन आठ के एएचओ अजय श्रवण प्रतिबंधित पॉलीथिन जब्ती के मामले में लगातार कार्रवाई करके अब निगम की व्यवस्था का जरूरी अंग बन गए। प्रतिबंधित पॉलीथिन की धरपकड़ में इन्होंने कई कार्रवाईयों को अंजाम दिया, इसके बाद हाल में 21 टन पॉलीथिन पकड़ी और दो लाख रुपए का जुर्माना किया। पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी राकेश शर्मा के साथ भी कई कार्रवाईयां की और अब विजिलेंस टीम बनाकर पॉलीथिन की जब्ती में लगे हैं।
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