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हमने उपासना को ही धर्म मान लिया, जबकि हमारे महापुरुषों ने धर्म को अध्यात्म से जोड़ा

locationभोपालPublished: Jan 22, 2020 01:10:15 am

Submitted by:

Bharat pandey

राजभवन में आध्यात्मिकता द्वारा मानव और सामाजिक विकास पर संगोष्ठी, आचार्य लोकेश मुनि ने कहा-

हमने उपासना को ही धर्म मान लिया, जबकि हमारे महापुरुषों ने धर्म को अध्यात्म से जोड़ा

हमने उपासना को ही धर्म मान लिया, जबकि हमारे महापुरुषों ने धर्म को अध्यात्म से जोड़ा

भोपाल। मौजूदा समय में समाज में धर्म का तेजस्वी प्रभाव इसलिए नहीं दिख रहा है, क्योकि हमने केवल उपासना को धर्म मान लिया है। मंदिर में जाना, पूजा पाठ करने से हम समझने लग गए है कि हमारे पाप धूल गए। मै उपासना का विरोधी नहीं हूं, लेकिन धर्म के तीन आयाम है। पहला आयाम उपासना है, दूसरा आयाम जीवन में नैतिक मूल्यों का समावेश तो तीसरा आयाम जीवन में अध्यात्म का अवसर है। इसलिए आज आवश्यकता है, कि धर्म को अध्यात्म से जोड़ा जाए। हमारे महापुरुषों ने भी धर्म को अध्यात्म से जोड़ा है।

यह बात अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य डॉ लोकेश मुनि राजभवन में आध्यात्मिकता द्वारा मानव और सामाजिक विकास पर आयोजित संगोष्ठी में कहीं। अहिंसा विश्व भारती द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल लालजी टंडन, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पत्रकार वेदप्रताप वैदिक, मंत्री पीसी शर्मा आदि उपस्थित थे। आगे लोकेश मुनि ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में बौद्धिक, शारीरिक शिक्षा की ओर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली में हमे संतुलित होने की बात सिखाती है। अगर शिक्षा में संतुलन और सर्वागिंक विकास की बात नहीं की जाएगी, तो विकास नहीं होगा। आध्यात्म से ही विकास संभव है। नक्सलवादी हिंसा की बात करे, तो मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन एक कारण अभाव भी है। अमीर गरीब की खाई पाटना बेहद जरुरी है। हिंसा, आतंकवाद किसी समस्या का समाधान नहीं है। समाधान वार्ता, संवाद, टेबल पर बातचीत से ही होता है।

 

अध्यात्म सर्वोपरि था, है, और रहेगा
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि गांधी के स्मृति संदेश पर गौर करें तो आश्चर्य होता है। उनका संदेश है, मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। गांधीजी का यह वाक्य अध्यात्म के बिना संभव नहीं है। समाज की व्यवस्था नैतिकता है और व्यक्ति की व्यवस्था सदाचार है। गांधीजी के पास सदाचार था। गांधीजी के हर पक्ष को जाने। अध्यात्म सर्वोपरि था, है, और रहेगा।

 

जियो और जीने दो का संदेश देता है अध्यात्म
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर कहा कि अध्यात्म जियो और जीने दो का संदेश देता है। दुनिया भर की सारी समस्याओं का समाधान अध्यात्म में है। कार्यक्रम में जब स्वागत के लिए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का नाम बोला गया, तो उन्होंने कहा कि पहले मेरा नहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का स्वागत किया जाए।

 


गरीबी, विषमताएं दूर होना जरूरी: वैदिक
वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक ने कहा कि आज राजनीति, व्यापार, शिक्षा से आध्यात्मिकता अंर्तध्यान हो रही है। आजादी के बाद शिक्षा, चिकित्सा के मूल स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। हमें ऐसा भारत बनाना है जो महाशक्ति बने, लेकिन आज भी देश में 95 प्रतिशत लोग ऐसे है, जिनके पास खाने-पीने की व्यवस्था नहीं है। गरीबी, विषमताएं दूर होना चाहिए।

 

बढ़ता भौतिकवाद चिंतनीय: राज्यपाल
कार्यक्रम में राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि समाज में बढ़ता भौतिकवाद चिंतनीय है आध्यात्मिकता को बढ़ाने के प्रयास जाने चाहिए। आध्यात्म से भेदभाव खत्म होता है और एकरूपता बढ़ती है। दुनिया में जितना ज्ञान- विज्ञान है, कोई विधि ऐसी नहीं है, जो इस देश से दुनिया में नहीं गई है, लेकिन हम ही उसे भूलते जा रहे हैं। सारी दुनिया हमारी ओर देख रही है।

 


अहिंसा के रास्ते पर चलने की जरूरत
मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि अहिंसा और शांति पूरे विश्व के लिए आवश्यक है। महात्मा गांधी ने अहिंसक आंदोलन के जरिए देश को आजादी दिलाई। आज हमे भी उनके बताए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है।

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