इस पद्धति से पहले भी इलाज होता रहा है। लेकिन बीच के कुछ समय में लोग इससे दूर होते जा रहे हैं। इसके चिकित्सकों और चिकित्सा पद्धति में नई सुविधाओं के चलते पिछले पांच साल में आयुर्वेद से इलाज कराने वालों की संख्या दो गुना हो गई है। वर्ष 2009 में शहर का पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद अस्पताल 56 बिस्तरों का था। उस समय हर रोज 25 से 30 मरीज ही यहां पहुंचते थे। अब इनकी संख्या दो गुना हो गई है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2011 तक हर साल आयुर्वेद से इलाज लेने वाले करीब 50 हजार मरीज थे। ये पांच साल में एक लाख हो गए हैं।
चिकित्सालय व कॉलेज के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला ने बताया कि इसी साल हम इसे 200 बिस्तरों का करने जा रहे हैं। अगले साल इसे 250 बिस्तरों का कर दिया जाएगा। रोजाना ओपीडी 500 से 600 की आ रही है। इसकी संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। इसके लिए हमारे पास 55 विशेषज्ञ डॉक्टरों का स्टाफ भी है।
यहां महक दूर कर देगी बड़े-बड़े मर्ज
हकीम जियाउल हसन शासकीय स्वशासी यूनानी मेडिकल कॉलेज अरोमा थेरपी शुरू करने जा रहा है। ये पद्धति तो पुरानी है लेकिन इससे इलाज करने वाले जानकार बहुत कम रह गए हैं। यूनानी मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. एस नफीस बानो ने बताया कि उन्होंने बताया कि यूनानी चिकित्सालय में अरोमाथेरेपी को बाहरी इस्तेमाल के लिए सूंघने के लिए प्रारंभ किया जाएगा। अभी दो यंत्रों से शुरू करने की प्लानिंग है, जिससे दो मरीजों को एकसाथ, एक सिटिंग में थेरेपी दी जा सकेगी। बाद में हमाम (बाथ) का प्रस्ताव है, जिसमें एसेंशियल ऑयल्स व फूलों का इस्तेमाल किया जाएगा।