अधिकतर जगह शाम ढलते ही दो-चार पहिया गाडिय़ां पार्क हो जाती हैं। पत्रिका टीम ने पड़ताल में पाया कि मिसरोद से आरआरएल के बीच तीन कोचिंग संस्थानों, आठ इलेक्ट्रॉनिक शोरूम, 9 ऑटो मोबाइल व कार शोरूम ने सर्विस रोड पर पार्किंग बना रखी है।
इसी लाइन में 6 मैरिज गार्डन हैं, जहां सीजन में पूरी रोड पार्किंग बन जाती है। वृंदावन ढाबा, हिमालया, ब्लैक मांबा जैसे 12 से अधिक होटल व रेस्टोरेंट भी रोड पर ही गाडिय़ां खड़ी करवा रहे हैं। गणेश मंदिर से बोर्ड ऑफिस के बीच मानसरोवर कॉम्प्लेक्स के सामने बरसों से आधी-अधूरी सर्विस रोड पार्किंग बनी हुई है। हबीबगंज रेलवे स्टेशन के सामने भी होटल-रेस्टोरेंट वालों के कब्जे में है।
बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) किनारे की कॉलोनियों के रहवासियों को मेन रोड के ट्रैफिक का सामना न करना पड़े। दुर्घटनाएं न हों। वे ट्रैफिक में उलझे बिना कॉलोनी से आसपास के अन्य क्षेत्रों में जा सकें।
मिसरोद से आरआरएल के बीच 70 कॉलोनियां हैं, जो सर्विस रोड से जुड़ती हैं। सर्विस रोड बीआरटीएस का ही भाग है, जिसका दुरुपयोग रोकने का जिम्मा नगर निगम व ट्रैफिक पुलिस का है। दोनों ही एजेंसियां पूरी तरह से असफल हैं।
सर्विस रोड स्थानीय लोगों के उपयोग के लिए होती है। इस पर किसी भी तरह की बाधा नहीं होनी चाहिए। इसकी जिम्मेदारी नगर निगम और पुलिस प्रशासन की है। यदि पहले के कुछ व्यवसायिक संस्थान हैं तो उन्हें अतिरिक्त एफएआर देकर बेसमेंट पार्किंग के लिए कहना चाहिए।
शैलेंद्र बागरे, स्ट्रक्चरल इंजीनियर
अविनाश लवानिया, निगमायुक्त सर्विस रोड के साथ ही यूटिलिटी डक्ट का भी दुरुपयोग हो रहा है। इस तरह के कब्जे हटाने बड़ी मुहिम की जरूरत है। इसमें जनप्रतिनिधियों को भी जोडऩा होगा।
आलोक शर्मा, महापौर
कमलेश कुमार, विद्यानगर सर्विस रोड पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त होनी चाहिए। दुकानदार अपनी पार्र्किंग की व्यवस्था खुद करें। यदि ऐसा नहीं कर सकते तो अपनी दुकानें बंद कर दें। जनता क्यों परेशान हो।
राधिका कृष्ण, दानिश कुंजv