पंद्रह साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस ने मीसाबंदी पेंशन बंद करने का निर्णय किया है। इसके तहत निरसन विधेयक तैयार कर लिया गया था, जिसे बीते विधानसभा सत्र में लाना प्रस्तावित था, लेकिन संसदीय कार्यमंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने उसे रोक लिया। इसके पीछे पूरे प्रकरण की समीक्षा करने का निर्णय रहा। मीसाबंदी पेंशन मुख्य रूप से भाजपा नेता लेते हैं। इनमें कई बड़े नेता भी शामिल हैं, लेकिन जब निरसन विधेयक लाने की बारी आई तो अफसरों ने कमजोर वर्ग के लोगों के भी इस पेंशन को लेने की बात बताई। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस जनता में किसी को नाराज नहीं करना चाहती है। इस कारण विधेयक को रोककर पेंशन लेने वाले हितग्राहियों की सूची का रिव्यू करना तय किया है। इसी के तहत संसदीय कार्य मंत्री ने नामजद सूची के साथ पूरी रिपोर्ट अफसरों से बुलाई है।
– क्या है पेंशन और कौन ले रहा
तत्कालीन भाजपा सरकार ने मीसाबंदी पेंशन के लिए 2008 में लोकतंत्र सेनानी पेंशन अधिनियम बनाया था। चुनाव के पहले इसे विधानसभा से पारित कराकर कानून की शक्ल दे दी गई थी, ताकि इसे सदन में लाए बिना निरस्त नहीं किया जा सके। इसके तहत आपातकाल में जेल जाने वालों को पेंशन की पात्रता है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत सहित कई भाजपा बड़े नेता इस पेंशन का लाभ ले रहे हैं। पहले पेंशन के लिए न्यूनतम एक महीने जेल में रहने का प्रावधान था, लेकिन केंद्रीय मंत्री गेहलोत के 13 दिन जेल में रहकर भी पेंशन लेने के विवाद के बाद भाजपा सरकार ने आपातकाल में एक दिन भी जेल में रहने पर पेंशन का लाभ देने का नियम बना दिया था।
यह तथ्य ध्यान में लाया गया है कि कई जरूरतमंद भी मीसाबंदी पेंशन ले रहे हैं, इसलिए अभी हम समीक्षा कर रहे हैं। भाजपा नेताओं को दी जा रही यह पेंशन गलत थी। अभी हम समीक्षा करके निर्णय करेंगे।
– डॉ. गोविंद सिंह, संसदीय कार्यमंत्री