एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच ने रिटायर्ड मेजर जनरल हरप्रीत सिंह बेदी की याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई के बाद यह आदेश दिए हैं। ट्रिब्यूनल ने सीपीसीबी और सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी को निर्देश दिए हैं कि वे द्वारकाधीश हवेली बिल्डर से पर्यावरण क्षति जुर्माने की 30 लाख 2 हजार 55 रूपए की राशि वसूल करें। बिल्डर को भी राशि जमा करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। यदि तय समय में राशि जमा नहीं की जाती है तो सीपीसीबी को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज वसूलने के भी निर्देश दिए गए हैं। इस राशि का उपयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाएगा। दो सप्ताह में कंप्लायंस रिपोर्ट मांगी गई है। मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को तय की गई है।
15 दिन में एसटीपी चालू कराएं और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराएं
एनजीटी ने बिल्डर को भी निर्देश दिए हैं कि 15 दिन में द्वारकाधाम कॉलोनी में खुले में सीवेज बहता हुआ नहीं मिलना चाहिए। इसके लिए बंद पड़े एसटीपी को चालू करवाना सुनिश्चित करें। इसके साथ रहवासियों को पीने योग्य स्वच्छ पानी की सप्लाई भी सुनिश्चित करें।
यह है मामला
करोंद बायपास के पास स्थित द्वारकाधाम कॉलोनी के रहवासियों ने शिकायत की थी कि बिल्डर द्वारा एसटीपी चालू नहीं करने के कारण सीवेज खुले में बह रहा है। इससे बीमारियां फैलने के साथ भू-जल भी दूषित हो रहा है। यही गंदा पानी बोरिंग से निकालकर रहवासियों के घरों में पेयजल के रूप में सप्लाई किया जा रहा है।
इसके बाद एनजीटी ने कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति से मामले की जांच कराई थी। जांच में समिति ने शिकायत सही पाई थी। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण क्षति जुर्माने का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई थी जिसने पिछली सुनवाई में अपनी रिपोर्ट दी थी। उसी के आधार पर जुर्माना वसूलने के निर्देश दिए गए हैं।