scriptजर्जर शासकीय आवास बन सकते हादसे का कारण | Shabby government housing can become the reason for the accident | Patrika News

जर्जर शासकीय आवास बन सकते हादसे का कारण

locationभोपालPublished: Sep 20, 2019 10:27:57 am

– रहवासियों के बार-बार कहने पर भी नहीं किया गया मरम्मत कार्य- इस वर्ष कई दिनों से हो रही धीमी बरसात से आवासों में बैठ गया पानी- दीवारों में पड़ गई हैं दरारें, घास और पेड़-पौधे उगे, वर्षों से मेंटनेंस नहीं

जर्जर शासकीय आवास बन सकते हादसे का कारण

जर्जर शासकीय आवास बन सकते हादसे का कारण

भोपाल. दशकों पहले बनाए गए शासकीय आवास रहवासियों के लिए मुसीबत बन गए हैं। इस साल हुई अधिक बरसात के चलते कोटरा शासकीय और पुलिस आवासों की हालत बहुत खराब है। घरों में बरसात का पानी भर रहा है। दीवारों में दरारें पड़ गई हैं।

दीवारें कमजोर होने के कारण एक ओर झुकती जा रही हैं। आवासों में वर्षों से मेंटनेंस नहीं किए जाने से घास, पेड़-पौधे उग आए हैं, जिससे आवास और भी जर्जर हो गए हैं। रहवासियों का कहना है कि बार-बार मरम्मत के लिए कहे जाने पर भी पीडब्ल्यूडी के अधिकारी काम नहीं करवा रहे हैं।


उल्लेखनीय है कि कोटरा सुल्तानाबाद में शासकीय आवास बने हुए हैं, जिनमें अधिकांश चालीस वर्ष पुराने हो चुके हैं और काफी जर्जर हालत में हैं। कुछ आवास बीस वर्ष पूर्व बनाए गए हैं। रहवासियों का कहना है कि इन आवासों की हर साल मेंटनेंस नहीं की जाती है, जिसके चलते आवासों की हालत काफी खराब हो गई है। एफ ब्लॉक के कई मकानों की स्थिति बहुत खराब है। पानी के अत्यधिक रिसाव के चलते घर का सामान खराब हो रहा है।

घर में तालाब जैसा नजारा बन जाता है। सामान, कपड़े, खाने-पीने की चीजें बारिश के पानी से नहीं बच रहीं। रहना मुश्किल हो गया है। पुराने मकानों के धराशायी होने की आशंका बढ़ गई है। रहवासियों का कहना है कि वर्षों से इन आवासों के मेंटनेंस के नाम पर लीपापोती की जा रही है। यदि मेंटनेंस बजट का एक हिस्सा भी ईमानदारी से मरम्मत पर खर्च किया जाता तो मकानों की इतनी खराब हालत नहीं होती। ऐसी हालत में मकान कभी भी गिर सकते हैं।

इसी तरह के हाल जेल पहाड़ी के पीछे बने शासकीय/पुलिस आवास के भी हैं। यहां भी मकान जर्जर हो चुके हैं। बरसात के कारण जगह-जगह से पानी का रिसाव होता है। कई जगह घास और पेड़-पौधे उग आए हैं, जिससे आवास और भी अधिक क्षतिग्रस्त हुए हैं।


सही है कि शासकीय आवास काफी पुराने हो चुके हैं। जहां भी मेंटनेंस की आवश्यकता होगी, वहां मेंटनेंस वर्क कराया जाएगा।
– ज्ञानेश्वर उइके, चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी-भोपाल

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