भोपाल

शहर में 30% सडक़ें अभी भी नहीं सुधरीं, एजेंसियों के दावे हैं झूठे

निगम ने काम ही शुरू नहीं किया, पीडब्ल्यूडी व सीपीए की रफ्तार सुस्त

भोपालNov 14, 2019 / 03:53 pm

Bharat pandey

शहर में 30% सडक़ें अभी भी नहीं सुधरीं, एजेंसियों के दावे हैं झूठे

भोपाल। शहर के बाहरी क्षेत्र नीलबड़-रातीबड़ और आसपास से रोजाना 25 हजार से अधिक छात्र बस, मैजिक व खुद के वाहनों से जर्जर सडक़ों में से आने-जाने को मजबूर हैं। यह हालत तब है,जब लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के तमाम अफसरों ने दो-दो मंत्रियों की मौजूदगी में इस रोड समेत शहरभर की सडक़ों को सुधारने का दावा किया था। इसी तरह कलियासोत से नीलबड़ का रास्ता हो या नेहरू नगर, भदभदा, सूरज नगर की राह, सभी गड्ढों से पटी हुई हैं। इससे वाहन चालकोंं को पहुंचने में तय से 30 फीसदी समय अधिक लगता है।

 

बारिश में खराब हो चुकी राजधानी की सडक़ों की मरम्मत को लेकर पत्रिका की खबरों के बाद सरकारी एजेंसियों की नींद टूटी। उन्होंने काम शुरू किया, लेकिन अब तक 30त्न सडक़ें भी नहीं सुधरीं। सडक़ विकास प्राधिकरण बनाकर शहर की सडक़ें उसके सुपुर्द करने का प्रस्ताव महापौर आलोक शर्मा ने दिया था। वित्त विभाग के साथ बैठक हुई। निगम के तत्कालीन अपर आयुक्त वीके चतुर्वेदी ने एजेंसियों के साथ बैठक की। सडक़ों के वार्डवार नक्शे बनवाए, पर बाद में सब ठंडे बस्ते में चला गया।

देखिए इनके बहाने

पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण यंत्री वीके आरक को नीलबड़-रातीबड़ क्षेत्र में सडक़ों की मरम्मत करनी थी। मंत्रियों व अफसरों ने उन्हें काम जल्द पूरा करने को कहा, लेकिन नहीं कर पाए। उनका कहना है कि ठेकेदारों को मेंटेनेंस का कहा है।

नगर निगम के अपर आयुक्त कमल सोलंकी का कहना है कि निगम की सडक़ें अंदरूनी हंै और ज्यादतर बेहतर हैं। ठेकेदारों से काम शुरू करने को कहा है। उन्हें पार्ट पैमेंट किए जा रहे हैं।

सीपीए के अधीक्षण यंत्री जवाहर सिंह का कहना है कि हमारी सडक़ें काफी कम खुदी थीं। इनका डामरीकरण व सीमेंटीकरण कराया है। वे कहते हैं यदि पेचवर्क में कहीं गड़बड़ी हुई है तो उसे फिर से करवा दिया जाएगा।

सरकारी एजेंसियों की लापरवाही

कोलार रोड पर सर्वधर्म कॉलोनी से कलियासोत पुल और इससे आगे 500 मीटर का रास्ता जर्जर है। पीडब्ल्यूडी को इसे दुरुस्त करना था, पर नहीं किया। रोजाना एक लाख से अधिक लोग गुजरते हैं।

डीआईजी बंगला से करोंद तक पीडब्ल्यूडी के जिम्मे वाली 3 किमी की रोड जर्जर है। रोजाना डेढ़ लाख से अधिक लोगों की आवाजाही है।

भेल के गेट से लेकर अयोध्या बायपास और कोकता तक 12 किमी की रोड एमपीआरडीसी के जिम्मे है। ये स्टेट हाइवे हैं। यहां से रोजाना भारी वाहन गुजरते हैं। इस पर 30 से अधिक जगह गड्ढे हैं। यहां से निगम के कचरा वाहनों के साथ ही दो लाख लोग गुजरते हैं।


नगर निगम से भुगतान नहीं होने के कारण ठेकेदारों ने सडक़ सुधार समेत अन्य काम पूरी तरह से रोक दिए हैं। इनकी 110 करोड़ की राशि बकाया है। ऐसे में निगम सीमा की अंदरूनी सडक़ें तो पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। कब तक सुधार शुरू होगा, किसी को नहीं पता। केंद्र व राज्य की मदद से जारी काम ही शहर में चल रहे हैं।

 

सीपीए ने सुधार के नाम पर लगाए पैबंद
सीपीए ने शाहपुरा, गुलमोहर समेत अन्य क्षेत्रों में सडक़ों को दुरुस्त किया है, लेकिन घटिया काम हुआ। ऐसे में रहवासी सीपीए की सडक़ों पर फैल रही बजरी से फिसल रहे हैं तो धूल से परेशान हो रहे हैं।

 

जर्जर सडक़ें, जिम्मेदार लापरवाह
1494 किमी की सडक़ें निगम के पास
411 किमी की सडक़ें पीडब्ल्यूडी के पास हैं
68 किमी की सडक़ें सीपीए के पास हैं
527 किमी की सडक़ें बीडीए, हाउसिंग बोर्ड, एनएच-एसएच की हंै

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